भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के माध्यम से किसानों को सोयाबीन फसल को रोग एवं कीट से बचाव की सलाह!

भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के माध्यम से किसानों को सोयाबीन फसल को रोग एवं कीट से बचाव की सलाह!

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-07-29 08:17 GMT
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के माध्यम से किसानों को सोयाबीन फसल को रोग एवं कीट से बचाव की सलाह!

डिजिटल डेस्क | उज्जैन सोयाबीन की फसल अब लगभग 30-40 दिन की हो गयी है. वर्तमान मे फसल भी अच्छी स्थिति में है । इस स्थिति में अब फसल को विभिन्न कीट एवं रोगों के प्रकोप से सुरक्षित/नियंत्रण करने के लिए कृषि विभाग द्वारा निम्नानुसार सलाह दी गई है- जहाँ पर चक्र भृग के साथ साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों का प्रकोप हो, वहाँ इनके नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक नोवाल्युरौन इन्डोक्साकार्ब (850 मिली/है) या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुध्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/है) का छिडकाव करें। जहाँ पर केवल चक्र भृग (गर्डल बीटल) का प्रकोप हों, चक्र भृग के नियंत्रण हेतु थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 750 मिली/हे या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1250 मि.ली/है) या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है.) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/है.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/है.) का 500 लीटर पानी के साथ 1 हेक्टेयर में छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।

पीला मोजेक रोग एवं सोयाबीन मोजेक के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक जैसे सफेद मक्खी एवं एफिड की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम लैम्ब्डा सायहेलोधिन (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुधिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का छिड़काव करें. इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर ऐन्थोक्नोज नमक फफूंदजनित रोग के प्रारंभिक लक्षण देखे गए हैं। इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं की टेबूकोनाजोल (625 मिली/हे) या टेबूकोनाजोल-सल्फर (1 किग्रा/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्लू.जी. (500 ग्राम/हे) अथवा हेक्जाकोनाजोल 5 ई.सी.(800 मिली/हे). (किसी एक का) छिडकाव करें। सोयाबीन की फसल में तम्बाखू की इल्ली एवं चने की इल्ली के प्रबंधन के लिए बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फिरोमोन ट्रैप्स एवं वायरस आधारित एन.पी.वी. (250 एल.ई/हेक्टे.) का उपयोग करें। इनके नियंत्रण के लिए इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/है.) भी असरकारक होता है।

सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु ‘टी’ आकार के बर्ड-पर्चेस लगायें। इससे कीटभक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है। यह भी सलाह है कि सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी टैप लगाएं। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीक के कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी या कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन से संपर्क कर सकते है।

Tags:    

Similar News