कुंवारी माताओं पर अध्ययन करेगा अमरावती विश्वविद्यालय

कुंवारी माताओं पर अध्ययन करेगा अमरावती विश्वविद्यालय

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-12 07:31 GMT
कुंवारी माताओं पर अध्ययन करेगा अमरावती विश्वविद्यालय

डिजिटल डेस्क,नागपुर। विदर्भ में कुंवारी माताओं के मामले पर अध्ययन के लिए अमरावती विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी दी गई है। विश्वविद्यालय की अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक उपाय के लिए सरकार से निवेदन किया जाएगा। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर के अनुसार महिला उत्पीड़न के मामले रोकने के लिए राज्य में ठोस प्रयास हो रहे हैं। विविध कार्यालयों में महिलाओं की लैंगिक प्रताड़ना को रोकने के लिए आंतरिक शिकायत निवारण समिति का गठन आवश्यक है। समिति के महत्व को समझाने के लिए राज्य भर में जनजागृति कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

पत्रकार वार्ता में रहाटकर ने विविध विषयों पर चर्चा की। यवतमाल जिले के झरी झामणी व अन्य क्षेत्रों में कुंवारी माताओं की संख्या बढ़ रही है। उनके पुनर्वसन की योजनाओं पर भी ठोस अमल नहीं हो पा रहा है। कुंवारी माता के विषय को गंभीर मानते हुए रहाटकर ने कहा कि गोंदिया व चंद्रपुर जिले में भी यह समस्या बढ़ने लगी है। इस संबंध में स्वयंसेवी संस्थाओं, समाज कल्याण विभाग, महिला व बाल कल्याण विभाग से भी जानकारी ली गई है। इस समस्या पर पहले भी अध्ययन किया गया है। लेकिन अब अमरावती विश्वविद्यालय गहन अध्ययन करेगा। नागपुर समेत अन्य शहरों में पुलिस स्टेशनों में महिला आरोपियों के लिए लॉकअप नहीं होने के विषय पर रहाटकर ने कहा कि महिला कैदियों के मानवाधिकार के संरक्षण के लिए महिला आयोग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। उस प्रस्ताव में पुलिस स्टेशनों में महिला आरोपियों के लिए लॉकअप का विषय भी शामिल रहेगा।

उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। प्रताड़ना के मामलों में पुलिस स्टेशनों तक शिकायतें पहुंचने का मामला बढ़ रहा है। कार्यालय में कामकाजी महिलाओं के संरक्षण के लिए समस्या निवारण समिति के संबंध में अध्ययन किया जा रहा है। राज्य महिला आयोग तक प्रतिदिन औसतन 100 शिकायतें पहुंचती हैं। अधिकतर शिकायत पारिवारिक हिंसा से संबंधित रहती हैं। सोशल मीडिया के दुरुपयोग की शिकायतें भी अधिक हैं। इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप व प्रलोभन देकर महिलाओं के शोषण के मामले भी बढ़ रहे हैं। रहाटकर ने कहा कि महिलाओं के संरक्षण के लिए जो कानून बने हैं, उनके दुरुपयोग की भी शिकायतें मिलती हैं, लेकिन विविध कानूनों में संवैधानिक बदलाव भी किए गए हैं।