पत्नी को घर की ईएमआई साझा करने का निर्देश देने से कोर्ट का इंकार

पत्नी को घर की ईएमआई साझा करने का निर्देश देने से कोर्ट का इंकार

Anita Peddulwar
Update: 2020-11-28 11:49 GMT
पत्नी को घर की ईएमआई साझा करने का निर्देश देने से कोर्ट का इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई । संयुक्त रुप से गृह कर्ज लेने के बावजूद बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी को घर की मासिक क़िस्त (ईएमआई) साझा करने का निर्देश देने से इंकार कर दिया है। पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कोरोना महामारी के संकट के चलते उसे अकेले घर की ईएमआई भरने में कठिनाई महसूस हो रही है। इसलिए पत्नी को 10 हजार 650 रुपए घर की ईएमआई भरने का निर्देश दिया जाए।

याचिका के मुताबिक पुणे स्थित फ्लैट में पत्नी ही रह रही है। जबकि लिए कर्ज़ पति पत्नी दोनों ने मिलकरलिया था। याचिका में पति ने कहा था कि उसकी पत्नी के पिता का निधन हो गया है। इसलिए मेरी पत्नी के पास अपने मां के साथ रहने का विकल्प है। याचिका में पति ने कहा था कि या तो उसे फ्लैट का कब्जा दिया जाए या फिर पत्नी को 10 हजार 650 रुपए ईएमआई के रुप में भुगतान करने के लिए कहा जाए। 

न्यायमूर्ति नीतिन साम्ब्रे के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पत्नी के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल एक आर्ट टीचर है। जिनका मासिक वेतन 16 हजार रुपए है। मेरे मुवक्किल के साथ उनका बड़ा बेटा भी रहता है। जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। इसलिए ईएमआई की रकम भरपाना मेरे मुवक्किल के लिए संभव नहीं है। उन्होंने ने न्यायमूर्ति के सामने कहा कि याचिकाकर्ता (पति) ने भी ईएमआई की रकम का भुगतान नहीं किया है। जिससे बैंक फ्लैट पर कब्जे की तैयारी में है। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि पत्नी सह कर्ज़दार है, इसलिए उसे ईएमआई का भुगतान करना चाहिए, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।इसलिए हम प्रतिवादी(पत्नी) को ईएमआई के भुगतान का आदेश नहीं दे सकते है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने याचिका को खारिज कर दिया। 

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