किसान आत्महत्या थमी नहीं, बंद हो गया बलिराजा चेतना पायलट प्रोजेक्ट

किसान आत्महत्या थमी नहीं, बंद हो गया बलिराजा चेतना पायलट प्रोजेक्ट

Anita Peddulwar
Update: 2020-08-06 08:57 GMT
किसान आत्महत्या थमी नहीं, बंद हो गया बलिराजा चेतना पायलट प्रोजेक्ट

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। किसान आत्महत्या रोकने के लिए एक अभियान शुरू किया गया था। इसका नाम बलिराजा चेतना अभियान था। इस अभियान को 5 साल के बाद  बंद कर दिया गया।  गौरतलब है कि यवतमाल और उस्मानाबाद जिले में किसान आत्महत्या के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए थे। इसके मद्देनजर उस्मानाबाद और यवतमाल जिले में बलिराजा चेतना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था। 24  जुलाई 2015  को इसे शुरू करने के आदेश जारी किए गए थे। यवतमाल में जिलाधिकारी कार्यालय में ही इसका कार्यालय बनाया गया था लेकिन  राजस्व एवं वनविभाग मंत्रालय ने इस अभियान को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं।

 जीआर पर उपसचिव सुभाष उमराणीकर के हस्ताक्षर हैं। इसकी प्रतिलिपि यवतमाल जिलाधिकारी को मिली है। यही नहीं इसकी प्रतिलिपि उस्मानाबाद जिलाधिकारी, अमरावती और औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त को भी दी गई है। अभियान से किसानों को सहायता दी जाती थी। इससे उन्हें राहत मिलती थी। इस अभियान के किसानों के बच्चों को किताबें, उनकी फीस आदि  की मदद मिलती थई यहीं नहीं पैदल आने वाले छात्र-छात्राओं को साइकिलें भी दी गई थी। इसी प्रकार राज्य परिवहन निगम द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए मुफ्त में आवागमन के लिए बसें खरीदकर दी गई थी। यह सब खर्च इस बलिराजा चेतना अभियान से किया जाता रहा है लेकिन सरकारी प्रयासों के बावजूद किसान आत्महत्या की घटना में कमी न आने से इस योजना को बंद कर दिया गया है।  

अभियान के बावजूद नहीं थमी आत्महत्या 

सरकार द्वारा जीआर में साफ शब्दों में स्वीकार किया गया है कि पिछले 5 वर्षों का अध्ययन करने के बाद पता चला कि किसान आत्महत्या में किसी प्रकार की कमी इस अभियान से नहीं आई है। इससे इस अभियान पर किया जा रहा खर्च पानी में चला गया है। पिछले काफी समय से इस अभियान को बंद करने के बारे में राज्य सरकार विचार कर रही थी। आखिर उस पर मुहर लग गई और उसे बंद कर दिया गया। 

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