आरक्षण के समर्थन में गजभिए ने रखा छत्रपति शिवाजी महाराज का रुप

आरक्षण के समर्थन में गजभिए ने रखा छत्रपति शिवाजी महाराज का रुप

Tejinder Singh
Update: 2018-11-22 16:37 GMT
आरक्षण के समर्थन में गजभिए ने रखा छत्रपति शिवाजी महाराज का रुप

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानसभा सत्र के दौरान अलग-अलग वेशभूषा में विभिन्न मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचने वाले राकांपा विधायक प्रकाश गजभिए इस बार वे छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह परिधान में नजर आए। विधानमंडल के बाहर गजभिए हाथ में एक पर्ची लेकर पहुंचे जिसमें सरकार पर मराठा, मुस्लिम और धनगर समाज को आरक्षण देने में नाकाम रहने और शिवाजी स्मारक न बना पाने की बात लिखी हुई थी। गजभिए ने सरकार से मांग की कि वह मराठा, मुस्लिम, धनगर समाज को तुरंत आरक्षण दे साथ ही किसानों को संपूर्ण कर्जमाफी का भी ऐलान किया जाए।

गजभिए ने सवाल किया कि सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज और बाबासाहेब आंबेडकर का स्मारक बनाने से जुड़े आश्वासन कब पूरा करेगी। बता दें कि राकांपा विधायक प्रकाश गजभिये हमेशा सरकार के विरोध में अलग-अलग तरीके से आंदोलन करते रहते हैं। इसके पहले नागपुर में हुए वर्षाकालीन अधिवेशन के दौरान भीमा कोरेगांव दंगे के संदिग्ध आरोपी संभाजी भिडे की वेशभूषा में वे ‘खास’ आम की बिक्री करते हुए नजर आए थे। इसके बाद उन्होंने संत तुकाराम की वेशभूषा में आंदोलन किया था। अब उन्होंने मराठा आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज की वेशभूषा में आंदोलन किया और मीडिया सहित अधिकांश लोगों का ध्यान खींचा।

धनगर आरक्षण को लेकर मिली रिपोर्ट का परीक्षण कर रही सरकार
उधर राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह धनगड व धनगर को लेकर टाटा इंस्ट्टीट्युट आफ सोशल साइंस (टिस) की ओर से दी गई रिपोर्ट का परीक्षण कर रही है। गुरुवार को सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। इस विषय पर महारानी अहिल्यादेवी समाज प्रबोधन मंच व अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि धनगर व धनगड एक ही समाज के लोग हैं, लिहाजा धनगर को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल किया जाए।

गुरुवार को जस्टिस बीपी धर्माधिकारी व जस्टिस सारंग कोतवाल की बेंच के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि सरकार ने याचिका में उठाए गए मुद्दे का अध्ययन करने के लिए टिस को नियुक्त किया था। टिस की रिपोर्ट सरकार को मिल चुकी है। सरकार फिलहाल इस रिपोर्ट का परीक्षण कर रही है। इसलिए मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए टाल दी जाए। सरकारी वकील की इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।