MP चुनाव : ऐसा पहली बार जब आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चे एक साथ मैदान में

MP चुनाव : ऐसा पहली बार जब आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चे एक साथ मैदान में

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-06 12:38 GMT
MP चुनाव : ऐसा पहली बार जब आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चे एक साथ मैदान में

धर्मेन्द्र पैगवार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मप्र संभवतया देश का ऐसा पहला राज्य हो गया है, जहां आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे-बहू-पोते एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें कांग्रेस के सिर्फ दो पूर्व सीएम के बेटे हैं, वहीं परिवारवाद का  विरोध करती रही भाजपा ने छह पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिजनों को मैदान में उतारा है। इन सबकी किस्मत ईवीएम में बंद है और 11 दिसंबर को इनके भाग्य का फैसला हो जाएगा। 
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह राहुल पांच बार से विधायक हैं और छठवीं बार चुरहट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके बाद नंबर आता है भाजपा के पूर्व सीएम कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी का। वे तीन बार के विधायक हैं, और चौथी बार विधानसभा पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे है। पूर्व सीएम दिवंगत वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे ओमप्रकाश सकलेचा भी चौथी बार विधायक बनने की कतार में है। इसके बाद नाम है पूर्व सीएम दिवंगत सुंदरलाल पटवा के दत्तक पुत्र सुरेंद्र पटवा का। वे रायसेन जिले के भोजपुर से चौथा चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी सीट प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरेश पचौरी की उम्मीदवारी के कारण प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में है।

भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की पुत्रवधू कृष्णा गौर भोपाल की गोविंदपुरा से विधानसभा का पहला विधानसभा चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह गुना जिले की अपनी परंपरागत सीट राघौगढ़ से दूसरी बार मैदान में हैं।

भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को टीकमगढ जिले के खरगापुर से टिकट दिया है। उमा राहुल को पुत्रवत ही मानती हैं। भाजपा ने 1967 में संविद सरकार में सीएम रहे दिवंगत गोविंदनारायण सिंह के पोते विक्रम सिंह को भी रामपुर बघेलान से उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले गोविंदनारायण सिंह के बेटे हर्ष सिंह यहां से विधायक रहे हैं, वे स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। 

ये दोनों खुश किस्मत
पूर्व सीएम पटवा के बेटे सुरेंद्र पटवा और उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी उन खुशकिस्मत नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें हारने के बाद भी भाजपा ने दोबारा मौका दिया। 2003 की लहर में सुरेंद्र पटवा भोजपुर से हार गए थे, लेकिन भाजपा ने विधानसभा क्षेत्र परिसीमन के बाद उन्हें 2008 में फिर मौका दिया। इसी तरह राहुल लोधी 2013 में खरगापुर से चुनाव हार गए थे, भाजपा ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है। 

तीन विस अध्यक्षों के बच्चे भी मैदान में
मप्र विधानसभा के तीन पूर्व अध्यक्षों के बच्चे भी इस बार चुनाव मैदान में हैं। इनमें दिवंगत श्रीनिवास तिवारी के पुत्र सुंदरलाल तिवारी रीवा जिले के गुढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। भाजपा ने 1990 की पटवा सरकार में विस अध्यक्ष रहे दिवंगत बृजमोहन मिश्र की बेटी अर्चना चिटनीस को एक बार फिर बुरहानपुर से मौका दिया है। इसी तरह जबलपुर कैंट से अशोक रोहाणी भी दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता दिवंगत ईश्वरदास रोहाणी 2003 से 2013 तक विस अध्यक्ष रहे।