लोकप्रिय मराठी गायक अरूण दाते का निधन

लोकप्रिय मराठी गायक अरूण दाते का निधन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-06 18:43 GMT
लोकप्रिय मराठी गायक अरूण दाते का निधन
हाईलाइट
  • वह 84 साल के थे। उन्होंने उपनगर के कांजूरमार्ग स्थित अपने आवास पर सुबह लगभग छह बजे अंतिम सांस ली।
  • अरुण के कई मराठी गीत काफी लोकप्रिय हैं।
  • लोकप्रिय मराठी गायक अरूण दाते का रविवार को निधन हो गया।

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकप्रिय मराठी गायक अरूण दाते का रविवार को निधन हो गया। वह 84 साल के थे। उन्होंने उपनगर के कांजूरमार्ग स्थित अपने आवास पर सुबह लगभग छह बजे अंतिम सांस ली। उनके बेटे अतुल दाते ने बताया कि उम्र अधिक होने के कारण उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था। दाते के निधन पर फिल्म और संगीत जगत के साथ-साथ राजनीति क्षेत्र के लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

देवेंद्र फडणवीस ने किया शोक व्यक्त
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दाते के निधन पर शोक व्यक्त किया। फडणवीस ने कहा कि दाते के निधन से हमने एक बड़ा गायक खो दिया। वह शुक्रतारा गीत से मशहूर हुए थे। मराठी श्रोताओं में भावगीतों को लोकप्रिय करने में उनका अहम योगदान रहा। प्रदेश के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि दाते द्वारा गाए हुए गीतों को लाखों - करोड़ों लोग अपने मन में जीवत रखेंगे। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि दाते के निधन से ऐसा लग रहा है कि संगीत क्षेत्र का शुक्रतारा टूट गया। उन्होंने भावगीत से अपनी अलग पहचना बनाई। अपने मधूर आवाज से मराठी संगीत प्रेमियों के दिल में स्थान बनाया।उनके निधन से संगीत क्षेत्र की बड़ी हानि हुई है। विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने भी दाते के निधन पर दुख जताया है।

इन कलाकारों के साथ भी गा चुके है गाना
अरुण के कई मराठी गीत काफी लोकप्रिय हैं। उन्हें मराठी सिनेमा के लिए भी कई गाने गए हैं जिनमें शुक्रतारा मंद वारा चांदणे पाण्यातुनी", "या जन्मावर, या जगण्यावर शतदा प्रेम करवे", "भातकुलीच्या केला मधे राजा आणिक राणी", "चांदणे पाण्यातुनी", "येसिल येसिल येसिल", "पानी पहाटे पहाटे येसिल" और "दिवस तुझे दिलाया" ने प्रमुख रूप से शामिल हैं। अरुण ने भारतरत्न लता मंगेशकर, आशा भोंसले, सुमन कल्याणपुर कर, सुधा मल्होत्रा, और कविता कष्णमूति जैसे कई बड़े गायकों के साथ गाना गाया हैं। बता दें कि अरुण दाते ने 28 साल तक बतौर टेक्सटाइल इंजीनियर बनकर काम किया है। अरुण के पिता भैय्याजी इंदौर में एक सरकारी अधिकारी थे। वो मराठी साहित्य और संगीत के शौकीन थे।