राजवीर सिंह ने परंपरागत खेती से हटकर लहसून की खेती को अपनाया (सफलता की कहानी) पौने दो बीघा में कमाये डेढ़ लाख रूपये!

राजवीर सिंह ने परंपरागत खेती से हटकर लहसून की खेती को अपनाया (सफलता की कहानी) पौने दो बीघा में कमाये डेढ़ लाख रूपये!

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-06-11 09:13 GMT

डिजिटल डेस्क | मुरैना तहसील जौरा के ग्राम पंचायत गलैथा निवासी युवा राजवीर सिंह सिकरवार परंपरागत खेती से हटकर लहसून की खेती को अपनाया है। उन्होंने पौने दो बीघा में लहसून की खेती करके लगभग डेढ़ लाख रूपये कमाये हैं। युवा कृषक राजवीर सिंह सिकरवार ने बताया कि पहले हम अपने बुजुर्गो के कहने पर चना, सरसों, गेंहू, बाजरा की फसलें लेते थे। इन फसलों में लागत निकालकर हमें 50 से 60 हजार तक का मुनाफा होता था। मैं उन्नत खेती की ओर बढ़ना चाहता था, एक दिन कृषि विभाग के एसडीओ अनेक सिंह तोमर ने परंपरागत खेती को छोड़कर वैज्ञानिक तरीके से खेती को अपनाने को कहा। कृषि आंचलिक केन्द्र वैज्ञानिक डॉ. रघुवंशी ने मिट्टी परीक्षण के लिये सलाह दी।

उद्यानिकी के सहायक संचालक श्री बीएस भदौरिया ने मुझे मिर्च, लहसून फसल लेने की सलाह दी। मैंने सभी की बात को मानते हुये लहसून की खेती को अपनाया। युवा किसान राजवीर सिंह सिकरवार ने बताया कि पौने 2 बीघा खेत में 17 क्विंटल लहसुन हुआ है। जिसकी कीमत डेढ़ लाख रूपये हुई है। गलैथा निवासी राजवीर सिंह सिकरवार कहते हैं कि भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है कृषि प्रधान देश होने के कारण हमारे देश में नाना प्रकार की फसलें पैदा होती है देश में खनिज संपदा ओं की भी कमी नहीं है उसको देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहन ने भी किसानों के लिए कई एक योजना का शुभारंभ किया है जिसको लेकर किसान उनका लाभ ले सके चाहे वह बीज हो कृषि यंत्र हो कृषि यंत्र को लेकर यह सारी सुविधा किसानों को दी जा रही हैं इससे जागृत होकर मध्य प्रदेश के किसान अब परंपरागत खेती से हटकर उन्नत मिर्च मसाले, धनिया, लहसून तथा औषधियों की खेती कर रहे हैं।

ग्राम पंचायत में परंपरागत खेती को लेकर लोगों में विश्वास है फसल चक्र को अपनाना नहीं युवा किसान राजवीर सिंह सिकरवार जो समय लेकर खेती कार्य करते हैं और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी जिला मुरैना में कार्य कर रहे हैं उनके छोटे भाई एक्स हवलदार अवधेश सिंह का उनका साथ रहा है दोनों भाइयों ने मिलकर पान दो बीघा खेत में लहसुन की खेती करने का प्लान किया और लहसुन को खेत में इसे देखकर ग्राम पंचायत के कुछ लोगों ने ताना देना शुरू कर दिया था। क्या होगा लेहसुन नहीं हो पाएगा इस तरीके से कई तरह की बातें मिलती रहे लेकिन इस को नकारते हुए वह अपने आत्मविश्वास पर लहसुन की खेती को अपनाने के लिये अडि़ग रहे।

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