राजस्थान में किताब से हटाया खिलजी के रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखने का किस्सा 

राजस्थान में किताब से हटाया खिलजी के रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखने का किस्सा 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-23 06:32 GMT
राजस्थान में किताब से हटाया खिलजी के रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखने का किस्सा 

डिजिटल डेस्क, राजस्थान। फिल्म पद्मावत को लेकर जितने भी विवाद हुए थे, उन सब में सबसे अधिक जिस विवाद ने तूल पकड़ा था वो था अलाउद्दीन खिलजी का रानी पद्मावती को शीशे से देखना। इस किस्से को लेकर काफी विवाद हुआ था। लोगों का कहना था कि जो दृश्य फिल्म में दिखाया गया है ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। तो फिल्म के निर्देशक का कहना था कि किताबों में इस दृश्य का वर्णन है। इस किस्से का जिक्र बारहवीं कक्षा की इतिहास की किताब में किया गया था। जिसे इस साल के पाठ्यक्रम में बदल दिया गया है। राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एज्युकेशन (RBSE) ने इस साल के पाठ्यकम में बदलाव करते हुए इस किस्से को हटा दिया है।

क्या था पाठ्यक्रम में 

साल 2017 की कक्षा बारहवीं की इतिहास की किताब में लिखा है कि "8 वर्षों तक चित्तौड़गढ़ में डेरा डाले रखने के बाद जब खिलजी चित्तौड़गढ़ के अंदर तक घुस नहीं पाया तब उसने संधि करने के विचार से रावल रतन सिंह के सामने एक प्रस्ताव रखा कि उन्हें रानी पद्मिनी का केवल प्रतिबिंब दिखा दिया जाए तो वो यहां से चला जाएगा। खिलजी के इस प्रस्ताव को राणा रतन सिंह ने स्वीकार कर लिया और रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब उसे दर्पण में दिखा दिया। जिसके बाद वापस जाते हुए वो रावल रतन सिंह को अपने साथ बंदी बनाकर ले गया और रतनसिंह की रिहाई के बदले में रानी पद्मिनी की मांग की"।

क्या किया गया बदलाव 

किताब के नए संस्करण में लिखा गया है कि "8 वर्षों तक चित्तौड़गढ़ में डेरा डाले रखने के बाद जब खिलजी चित्तौड़गढ़ के अंदर तक घुस नहीं पाया तब उसने संधि करने के बहाने से रावल रतन सिंह को कैद कर लिया, और रिहाई के बदले में रानी पद्मिनी की मांग की। इसी के साथ इस नई किताब में ये भी लिखा गया है कि पद्मिनी का विवरण साल 1540 में लिखी गई मलिक मुहम्मद जायसी की किताब पद्मावत के अनुसार है"।