मामला पांच जजों के सामने रहेगा या बड़ी बेंच के पास जाएगा, फैसला सुरक्षित

महाराष्ट्र का सत्ता संघर्ष मामला पांच जजों के सामने रहेगा या बड़ी बेंच के पास जाएगा, फैसला सुरक्षित

Anita Peddulwar
Update: 2023-02-16 13:59 GMT
मामला पांच जजों के सामने रहेगा या बड़ी बेंच के पास जाएगा, फैसला सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । शिवसेना में विभाजन से उत्पन्न संवैधानिक मुद्दों से संबंधित याचिकाओं पर लगातार तीन दिन तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले पर तीसरे दिन सुनवाई पूरी होने के बाद पीठ ने इस बात पर फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या यह मामला पांच जजों की पीठ के सामने ही रहेगा या फिर इसे सात जजों की संवैधानिक पीठ के सामने भेजा जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ, जिसमें जस्टिस एमआर शाह, क्रृष्णा मुरारी, हीमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल है, ने महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर दोनों पक्षों की नबाम रेबिया केस के संदर्भ में दलीलों को सुना। आज सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि विचार किए जाने वाले पहलुओं में से एक यह है कि क्या नबाम रेबिया का फैसला महाराष्ट्र के मामले में लागू होता है या नहीं। लिहाजा नबाम रेबिया की समीक्षा के लिए मामला बड़ी बेंच को भेजा जाए या नहीं, इसको लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया जाता है।

नबाम रेबिया में कहा गया था कि यदि संविधान के अनुच्छेद 179 (सी) के तहत जब स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव लंबित हैं, तो स्पीकर दलबदल विरोधी कानून (संविधान की 10वीं अनुसूची) के तहत वह अयोग्यता की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते। उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वकीलों द्वारा इस मामले में इस दृष्टिकोण की शुद्धता पर सवाल उठाया और नबाम रेबिया के फैसले के कुछ पहलुओं पर सुनवाई के लिए मामले को सात जजों की बेंच के पास भेजने की मांग की। जबकि शिंदे पक्ष का स्टैंड है कि नबाम रेबिया केस के किसी दृष्टिकोण पर विचार की आवश्यकता नहीं है और मामले को सात जजों के पास भेजने का विरोध किया। राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले को बड़ी पीठ को सौंपने के किसी भी कदम का विरोध किया।
 

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