पश्चिम महाराष्ट्र के जंगलों में दहाड़ेंगे विदर्भ के बाघ

पश्चिम महाराष्ट्र के जंगलों में दहाड़ेंगे विदर्भ के बाघ

Anita Peddulwar
Update: 2020-08-08 10:44 GMT
पश्चिम महाराष्ट्र के जंगलों में दहाड़ेंगे विदर्भ के बाघ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के बाघों की दहाड़ पश्चिम महाराष्ट्र के जंगलों में सुनने को मिल सकती है। मुंबई के पास सह्याद्री बाघ संरक्षण क्षेत्र में चंद्रपुर के बाघ शामिल हो सकते हैं। दरअसल चंद्रपुर जिले में बाघों की बढ़ती संख्या और हिंसक घटनाओं को देखते हुए राज्य वन विभाग ने बाघों के स्थलांतरण का प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विचाराधीन रखा है। उसी प्रस्ताव में चंद्रपुर के बाघों को सह्याद्री में भेजने का जिक्र है।

प्रस्ताव में 50 बाघों के स्थलांतरण के अलावा 20 बाघों की नसबंदी की भी सिफारिश है। सह्याद्री बाघ संरक्षण क्षेत्र में फिलहाल 3 बाघ ही हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 324 बाघ हैं। इनमें करीब 200 बाघ विदर्भ के जंगल में हैं। उनमें भी सबसे अधिक चंद्रपुर जिले में हैं। चंद्रपुर जिले में मानव व वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बनी है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार पेंच, ताड़ोबा, नवेगांव नागझिरा व मेलघाट के जंगलों में बाघों की संख्या नियंत्रित है। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पीसीसीएफ वन्यजीव नितीन काकोड़कर के अनुसार चंद्रपुर जिले में बाघों के खतरे पर विचार करना ही होगा। वनक्षेत्र के आसपास के गांवों में घातक स्थिति बनी है। लिहाजा बाघों की नसबंदी की उपाय योजना उचित लगती है।
राज्य वन्यजीव मंडल के सदस्य किशोर रिठे कहते हैं कि नसबंदी मात्र विकल्प नहीं है। चंद्रपुर जिले में बाघों की संख्या बढ़ने के कारणों को जानने की जरूरत है। कोई भी नीतिगत निर्णय लेने के पहले विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए।

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