वायरस में आ रहा है बदलाव ,कोरोना के साथ हैप्पी हाइपोक्सिया से हो रही मौत

वायरस में आ रहा है बदलाव ,कोरोना के साथ हैप्पी हाइपोक्सिया से हो रही मौत

Anita Peddulwar
Update: 2020-08-10 06:54 GMT
वायरस में आ रहा है बदलाव ,कोरोना के साथ हैप्पी हाइपोक्सिया से हो रही मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर।   पिछले कुछ दिन से नागपुर जिले में बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। कई मामलों में देखा जा रहा है कि एक-दो दिन पहले भर्ती होने वाले मरीजों की मौत हो गई है। कम उम्र के मरीजों की भी मौत हो रही है। दरअसल, कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के कई कारणों में से एक वायरस में आ रहा बदलाव और हैप्पी हाइपोक्सिया बीमारी की बात सामने आ रही है। इसमें सामान्य देखने वाला व्यक्ति कुछ ही घंटे में वेंटिलेटर पर भर्ती होने की स्थिति में पहुंच जाता है।

यह है प्रमुख कारण
फेफड़ों में फाइब्रोसिस होने की वजह से कई बार मरीज को हाइपोक्सिया हो जाता है। इसमें मरीज को अचानक आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है।  

लगाए जा रहे अलग-अलग कयास
डायबिटीज, हाइपरटेंशन, सिरोसिस ऑफ लिवर और किडनी की बीमारी वाले मरीजों में तेजी से संक्रमण हो रहा है। 
कुछ लोग अस्पताल में जल्दी नहीं पहुंच रहे हैं। वह या तो बीमारी छुपा रहे हैं या फिर जांच देरी से करवा रहे हैं।
शंका यह भी है कि कुछ दिन से इस वायरस में बदलाव हुआ है और वह पहले से अधिक प्रभावशाली हुआ है। 

शक इधर भी..
संक्रमित मरीज जब अस्पताल में पहुंचता है, तो उपचार में उसे हायर एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। यह दवा देने के बाद शरीर   कितना प्रतिसाद देता है, यह व्यक्ति की रोग प्रतिराेधक क्षमता पर निर्भर करता है।

मौत के कारण कई हो सकते हैं
हैप्पी हाइपोक्सिया के मामले दिखाई पड़ रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु के आंकड़े बढ़ रहे हैं, जिसका कारण  लॉकडाउन खुलने से मॉस्क, सैनिटाइजर और सोशल दूरी को नजरअंदाज करना भी हो सकता है। हाई रिस्क के मरीजों के संक्रमण का देरी से पता चलना भी बड़ा कारण है।  शंका है कि वायरस के और घातक होने पर भी है।   -डॉ.सागर पांडे, उप अधीक्षक, मेयो

जानें क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया 
ये एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में कई डॉक्टर्स को नहीं पता होता है। मरीज़ बिल्कुल सेहतमंद लगता है, बिना किसी तकलीफ के चलता है और बात करता है, लेकिन असल में उसके शरीर के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है, जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ता है। हाइपोक्सिया या तो पूरे शरीर को प्रभावित करता है या किसी एक क्षेत्र को। ऑक्सीजन की कमी होने से अंग अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाते हैं।  

इसलिए जानलेवा 
जब रक्त ऑक्सीजन का स्तर गिरता है, तो शरीर सामान्य रूप से बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर पर प्रतिक्रिया करता है जैसे कि सांस की तकलीफ, या यहां तक ​​ बेहोशी। हालांकि, कोरोना के मरीज़ों में इस स्थिति को देखना चौंकाने वाला भी है और परेशान करने वाला भी। अगर डॉक्टर ब्लड ऑक्सीजन की जांच न करें, तो मरीज़ बिल्कुल ठीक नज़र आता है और ये तब तक पता नहीं चलता जब तक कार्डियेक अरेस्ट न आए, जिससे जान भी जा सकती है।
 

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