मप्र की बंदर हीरा खदान के लिए 5 कंपनियां आगे आईं
भोपाल, 15 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की कई सालों से अनुपयोगी पड़ी हीरा बंदर खदान के चालू होने के आसार बनने लगे हैं। इसके लिए देश की पांच बड़ी कंपनियों ने तकनीकी निविदाओं में बिड जमा कर अपना दावा पेश किया है। इस खदान के शुरू होने पर इस इलाके की तस्वीर बदलने की आस है।
बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित 55 हजार करोड़ रुपये की इस बंदर हीरा खदान को रियो टिंटो कंपनी छोड़कर चली गई थी। इसके बाद से सरकारी स्तर पर इस खदान के चालू कराने के प्रयास जारी थे।
सूत्रों के अनुसार, इस खदान में लगभग 3.50 करोड़ कैरेट के हीरे का भंडार है, जिसका अनुमानित मूल्य 55 हजार करोड़ रुपये है।
मध्य प्रदेश खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया, छतरपुर जिले की वर्षो से अनुपयोगी बंदर हीरा खदान लेने के लिए पांच बड़ी कम्पनियों ने 13 नवंबर को खुली प्रथम चरण की तकनीकी निविदा में बिड जमा कर अपना दावा प्रस्तुत किया है। इनमें भारत सरकार का उपक्रम नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएमडीसी), एस्सेल माइनिंग (बिड़ला ग्रुप), रूंगटा माइंस लिमिटेड, चेंदीपदा कालरी (अडानी ग्रुप) तथा वेदांता कम्पनी शामिल हैं।
जायसवाल ने बताया, देश की इस सबसे बड़ी खदान की नीलामी प्रक्रिया में भारत सरकार के नियमानुसार लगभग 56 करोड़ रुपये की सुरक्षा निधि जमा कराई जानी थी। इसके लिए आवेदक कंपनी की नेटवर्थ कम से कम 1100 करोड़ रुपये होना आवश्यक था।
खनिज साधन मंत्री के अनुसार, 13 नवंबर की निविदा कार्यवाही के बाद अब तकनीकी बिड के मूल्यांकन का कार्य 27 नवम्बर को पूर्ण किया जाएगा। इसके बाद 28 नवंबर को प्रारंभिक बोली खोली जाएगी और उसके अगले दिन ऑनलाइन नीलामी संपादित की जाएगी।
बुंदेलखंड के जानकार और पत्रकार रवींद्र व्यास के अनुसार, बक्सवाहा इलाके में यह खदान है और यहां बंदर बहुत संख्या में हैं। इसी के चलते रियो टिंटो ने इस परियोजना को बंदर प्रोजेक्ट नाम दिया था। अब इसे बंदर हीरा खदान के नाम से ही पहचाना जाने लगा है। इस खदान के शुरू होने से क्षेत्र का विकास तय है, मगर स्थानीय लोगों को क्या लाभ होगा यह तो संबंधित कंपनी की नीतियों पर निर्भर करेगा।
Created On :   15 Nov 2019 8:30 PM IST