भारतीय स्टार्टअप नई उचांईयों पर पहुंचा
- भारत के लिए मांग और ग्राहक आधार बहुत बड़ा है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जिस प्रकार हम भारतीय स्टार्टअप के लगातार नई उचांईयों पर पहुंचने का जश्न मना रहे हैं, बीते दो सालों में कई वैश्विक मैक्रो-इकोनॉमिक फैक्टर्स ने इस उपलब्धि को हासिल करने में बड़ी मदद की है। वैश्विक महामारी के कारण सामाजिक स्तर पर डिजिटल परिवर्तन और प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है। इसके अलावा, चीन में तकनीकी क्षेत्र के नियामक परिवर्तन/क्रैकडाउन, निजी पूंजी के बड़े पूल की उपलब्धता भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के बढ़ने और अकेले 2021 में रिकॉर्ड 40 यूनिकॉर्न का उत्पादन करने के लिए सभी पॉजिटिव कारक रहे हैं।
अग्रणी स्टार्टअप प्रकाशन आईएनसी42 के आंकड़ों के अनुसार, आज भारत में 82 यूनिकॉर्न हैं, जिनकी कुल फंडिंग 38.4 बिलियन डॉलर (2014 से 4 दिसंबर, 2021 तक) है। हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारत इस साल अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनकर उभरा है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के अनुसार, इस साल तीसरी तिमाही (क्यू3) में, भारतीय स्टार्टअप्स ने 347 सौदों में कुल 10.9 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ रिकॉर्ड फंडिंग हासिल की है। भारत के यूनिकॉर्न वर्तमान में 168 अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य के हैं। पिछले दो वर्षों में भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का युग बन गया है। इसमें दो प्रमुख कार्यक्रम एक दीपिंदर गोयल की अध्यक्षता में फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो के आईपीओ और गिरीश मातृभूमि द्वारा संचालित सॉफ्टवेयर-ए-ए-सर्विस (सास) प्रदाता फ्रेशवर्क्स भी शामिल हैं।
एलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) के कार्यकारी निदेशक सिजो कुरुविला जॉर्ज ने आईएएनएस को बताया, एक अन्य कारक जिसने भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने में योगदान दिया, अब वह स्टार्टअप वास्तव में एक परिसंपत्ति वर्ग में बदल रहा है। इस क्षेत्र में खुदरा सहित निवेशकों के एक बड़े और विविध पूल से ब्याज और पूंजी आकर्षित हुई है, जिसमें पॉलिसीबाजार, नायका के सदस्यता शामिल हुए।
डेलॉइट इंडिया के केआर सेकर के अनुसार, भारत के लिए मांग और ग्राहक आधार बहुत बड़ा है जो एक बेहतर नेटवर्क और बेहतर दूरसंचार नीति स्टार्टअप्स के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। सास-आधारित ईवी और ब्लॉकचैन स्टार्टअप 2022 में पारिस्थितिकी तंत्र के लिए और गति प्रदान कर सकते हैं। सास स्टार्टअप फरआई के सीईओ और सह-संस्थापक कुशाल नाहटा के अनुसार, फर्मों ने सास समाधान जैसी तकनीकों को अपनाना शुरू कर दिया है जो ग्राहकों की लगातार बदलती मांगों को पूरा करने के लिए बहुत आवश्यक गति प्रदान करते हैं।
नाहटा ने आईएएनएस को बताया, सास भी निवेशकों के लिए बहुत जरूरी बन गया है, इसलिए बहुत सारी पूंजी की उपलब्धता है। यह ई-कॉमर्स में महामारी से प्रेरित उछाल के साथ, व्यवसायों के ऑनलाइन बदलाव और नवाचार की आवश्यकता के कारण भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में विस्फोट करने के लिए है।
बीते 5 सालों में, भारत में सॉ़फ्टवेयर-एज-ए-सर्विस फर्मों की संख्या दोगुनी हो गई है । देश में एज-ए-सर्विस फर्म 2025 तक राजस्व में 30 अरब डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर हैं। प्रबंधन परामर्श फर्म बैन एंड कंपनी के अनुसार, भारत में अब 13 एज-ए-सर्विस यूनिकॉर्न हैं और सात से नौ कंपनियों के बीच वार्षिक आवर्ती राजस्व (एआरआर) 10 करोड़ से ज्यादा है। भारतीय एज-ए-सर्विस कंपनियों में निवेश 2021 में बढ़कर 4.5 अरब डॉलर हो गया, जिसमें 2020 से 170 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
आईएएनएस
Created On :   12 Dec 2021 11:30 AM IST