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नये कानून से बेअसर रहेगा एपीएमसी का काम-काज, समाप्त होगा एकाधिकार

हाईलाइट
- नये कानून से बेअसर रहेगा एपीएमसी का काम-काज, समाप्त होगा एकाधिकार
नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। केंद्र सरकार द्वारा कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानून से भले ही राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून के तहत चलने वाली मंडियों के वजूद पर कोई असर न हो लेकिन इससे एपीएमसी का अधिकार क्षेत्र जरूर सीमित हो जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला कहते हैं कि नये कानून से एपीएमसी के कामकाज पर असर नहीं होगा।
केंद्रीय मंत्री रूपाला ने आईएएनएस से खास बातचीत के दौरान एपीएमसी के कामकाज को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, एपीएमसी एक्ट ऐसे ही रहेगा और एपीएमसी का कामकाज भी ऐसी ही चलता रहेगा। कृषि सुधार के नये कानून से एपीएमसी का सिर्फ अधिकार क्षेत्र सीमित होगा। मतलब कृषि उत्पाद बाजार में एपीएमसी का जो एकाधिकार है वह समाप्त हो जाएगा।
कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि नए कानून से न तो एपीएमसी एक्ट समाप्त होगा और न ही इससे संघीय व्यवस्था को कोई खतरा होगा।
उन्होंने कहा कि एमपीएमसी कानून के तहत जहां मंडी शुल्क लगता है वहां एपीएमसी के अधिकार क्षेत्र में मंडी शुल्क जारी रहेगा और वहां उसी प्रकार कृषि उत्पादों का व्यापार होगा जिस प्रकार अब तक होता रहा है। केंद्रीय मंत्री कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 के संदर्भ में बोल रहे थे।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद बीते सप्ताह इनकी अधिसूचना जारी कर दी गई थी।
किसानों को उनकी उपज का वाजिब और लाभकारी दाम दिलाने के मकसद से लाए गए इस नये कानून में किसानों और व्यापारियों को कृषि उत्पादों की बिक्री और खरीद के लिए प्रतिस्पर्धी व वैकल्पिक व्यवस्था का प्रावधान है, जिसमें किसानों का एपीएमसी की मंडियों के बाहर अपने उत्पाद बेचने की आजादी दी गई है। नये कानून में एक देश - एक कृषि उत्पाद बाजार की संकल्पना को अमलीजामा पहनाते हुए किसानों को किसी राज्य के भीतर या दूसरे राज्यों में निर्बाध तरीके से अपने उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता है। कृषि बाजार कानून के जानकार बताते हैं कि इससे किसानों को एक वैकल्पिक बाजार मिलेगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे उनको कृषि उत्पादों का बेहतर दाम मिलेगा।
रूपाला ने कहा, देश में 80 फीसदी किसान छोटे जोत वाले हैं जो अपनी उपज मंडियों तक नहीं ले जा पाते हैं। लेकिन अब वे एपीएमसी के बाहर अपने उत्पाद बेच पाएंगे और इसके लिए उनको कानूनी अधिकार मिल गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए दोनों अध्यादेश छोटे किसानों के लिए भी लाए गए हैं।
कंट्रैक्ट फामिर्ंग के मसले पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, यह तो पहले से ही चल रही है लेकिन अब इसे कानूनी स्वरूप देने की कोशिश की गई है। साथ ही इस बात पर ध्यान दिया गया है कि इससे किसानों के हितों की रक्षा हो। उन्होंने कहा कि इस कानून में थर्ड पार्टी को भी शामिल किया गया है। मसलन अगर कोई बीज या कृषि प्रौद्योगिकी का जानकार है और निवेश करना चाहता है तो वह इस कानून के तहत करार करके शामिल हो सकता है।
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