बिजली संयंत्रों के पास 3 से 5 दिन का कोयला शेष

Delhis power crisis is not over, power plants have 3 to 5 days of coal left
बिजली संयंत्रों के पास 3 से 5 दिन का कोयला शेष
खत्म नहीं हुआ है दिल्ली का बिजली संकट बिजली संयंत्रों के पास 3 से 5 दिन का कोयला शेष
हाईलाइट
  • खत्म नहीं हुआ है दिल्ली का बिजली संकट
  • बिजली संयंत्रों के पास 3 से 5 दिन का कोयला शेष

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली संकट खत्म नहीं हुआ है। दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाले बिजली संयंत्रों में केवल 3 से लेकर अधिकतम 5 दिन का ही कोयला बचा है। राज्य सरकार के अनुसार कोयले की आपूर्ति अभी भी पूरी तरह बहाल नहीं हो सकी है और वहीं दिल्ली में बिजली की चरम मांग 6,000 मेगावाट से अधिक हो चुकी है। कोयले की स्थिति को लेकर कुछ सुधार हुआ है लेकिन अभी भी कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है।

मौजूदा स्थिति पर दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पावर प्लांट के अंदर कम से कम 21 दिन का कोयला उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन अभी भी किसी पावर प्लांट में केवल 3 तो कुछ पावर प्लांट में 5 दिन का ही कोयला उपलब्ध है। यानी स्थिति अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है, हां लेकिन पहले के मुकाबले अभी कोयला कुछ अधिक मात्रा में उपलब्ध है।

बीते सप्ताह दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाले पावर प्लांट्स में कोयले का यह बैकअप सिर्फ 1-2 दिन का रह गया था। राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि दिल्ली में स्थिति गंभीर है और कोयले की कमी का सबसे बड़ा कारण रेलवे के रैक का कम होना। वहीं केंद्र की ओर से दिल्ली सरकार पर कोयले को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि हमने जो कुछ भी डाटा दिए हैं वह केंद्र सरकार की वेबसाइट के आधार पर ही उपलब्ध कराए गए हैं।

केंद्र सरकार से जो डाटा उपलब्ध हुए वहीं जानकारी दिल्ली सरकार द्वारा दी गई है तो ऐसे में भ्रम फैलाने की कोई बात ही नहीं उठती।जैन ने बताया कि बिजली को स्टोर नहीं किया जा सकता है, बिजली रोजाना पावर प्लांट में बनाई जाती है। इसलिए बिजली के बैकअप के लिए इसे बनाने वाले ईंधन का बैकअप रखना जरूरी है। इस समय यह ईंधन कोयला है, जिसकी सप्लाई में देशभर में कमी आई हुई है। बिजली के पावर प्लांट इस तरह काम नहीं कर सकते हैं।

किसी भी परिस्थिति में कम से कम 7 दिनों का कोयला होना ही चाहिए, ताकि पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर काम कर सकें। अभी दिल्ली में 6000 मेगावाट की पीक डिमांड है। इसकी जानकारी पॉवर के ऑनलाइन पोर्टल पर देख सकते हैं। लगभग 21 दिनों से ज्यादा का बैकअप हमेशा ही सभी पावर प्लांट्स में हुआ करता था। बीते सप्ताह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विद्युत संकट के संबंध में कहा था, दिल्ली में हम लोग किसी तरह से मैनेज किए हुए हैं।

इस समस्या से निपटने के लिए त्वरित ठोस कदम उठाने की जरूरत है। देश भर में बिजली की भारी समस्या हो रही है। अभी तक दिल्ली में हम लोग किसी तरह से मैनेज किए हुए हैं। पूरे भारत में स्थिति बेहद गंभीर है। इस समस्या से निपटने के लिए त्वरित ठोस कदम उठाने की जरूरत है। दिल्ली सरकार के मुताबिक आम तौर पर पावर प्लांट में बिजली बनाने के लिए 21 दिनों से ज्यादा का कोयले का बैकअप होता है। लेकिन देश के कई प्लांट्स में काफी कम दिन का कोयला बचा है।

दिल्ली में भी स्थिति गंभीर है। दिल्ली को बिजली मुहैया कराने वाले सभी पावर प्लांट में एक ही दिन का कोयला बचा है। वर्तमान में सप्लाई के हिसाब से हमारे पास केवल अगले दिन का कोयला बचा होता है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोयले की सप्लाई करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। केंद्र सरकार से अपील हैं कि देश भर में कोयले की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करें। साथ ही रेलवे के रैक बढ़ाए जाएं।

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Created On :   4 May 2022 2:01 PM GMT

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