चुनौतियों के बाद भी चालू वित्त वर्ष में बनी रहेगी आर्थिक रिकवरी की रफ्तार

Despite the challenges, the pace of economic recovery will continue in the current financial year: RBI
चुनौतियों के बाद भी चालू वित्त वर्ष में बनी रहेगी आर्थिक रिकवरी की रफ्तार
आरबीआई चुनौतियों के बाद भी चालू वित्त वर्ष में बनी रहेगी आर्थिक रिकवरी की रफ्तार
हाईलाइट
  • चुनौतियों के बाद भी चालू वित्त वर्ष में बनी रहेगी आर्थिक रिकवरी की रफ्तार: आरबीआई

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का कहना है कि भू राजनीतिक चुनौतियों और उसके परिणामों के बावजूद भारत की आर्थिक रिकवरी की रफ्तार चालू वित्त वर्ष में भी बनी रहेगी। आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट 2021-23 में यह अनुमान जताया गया है कि कोरोना महामारी से उबरते हुए वित्त वर्ष 22 में देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आनी शुरू हुई थी और आर्थिक रिकवरी की यह गति वित्त वर्ष 23 में भी देखने को मिलेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में की जाने वाले बढ़ोतरी से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और इससे अंतत: समग्र मांग में बढ़ोतरी होगी। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 100 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना योजना और छह लाख करोड़ रुपये के नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, दोनों के पूरा होने के लिए 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन दोनों योजनाओं से आधारभूत ढांचा क्षेत्र में व्यय बढ़ेगा।

प्रक्रिया में सुधार के जरिये आपूर्ति संबंधी प्रबंधन के दिशा में किये जाने वाले प्रयासों से भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक लचीलेपन के साथ चुनौतियों का सामना कर पायेगी। आरबीआई के मुताबिक कोविड टीकरण और आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी के दम पर कारोबारी और उपभोक्ता धारणा मजबूत बनी रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में सुधार हालांकि निजी निवेश पर आधारित है। आपूर्ति के लिहाज से खनन और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी दर्ज की गई है। कोरोना महामारी के दौरान सर्वाधिक प्रभावित हुआ सेवा क्षेत्र गत वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से ही पटरी पर लौट रहा है। आरबीआई ने श्रम बाजार में सुधार पर जोर दिया है। उसके मुताबिक कर्मचारियों को दोबारा कौशल सीखाना जरूरी है, ताकि वे महामारी के बाद के माहौल में ढल सकें।

वित्तीय बाजार के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक तरलता और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के नरम मौद्रिक नीतियों के कारण वित्तीय परिसंपत्तियों की कीमतें सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। कोविड-19 प्रतिबंधों में दी गई ढीलाई और पैकेज की घोषणाओं से भी वित्तीय बाजार को बल मिला।

भारत का वित्तीय बाजार भी तरलता के कारण संतुलित बना रहा। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर ने धारणा पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने और कोविड टीकाकरण में तेजी के दम पर वैश्विक बाजारों के तर्ज पर वित्त वर्ष 22 में भारतीय शेयर बाजार ने भी तेज छलांग लगाई।

शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी और वित्त वर्ष 22 में 3.46 डीमैट अकांउट खोले गये। वित्त वर्ष 21 में 1.42 डीमैट अकांउट खोले गये थे। गत वित्त वर्ष के दौरान प्रति माह औसतन 28.8 लाख डीमैट अकांउट खोले गये जबकि वित्त वर्ष 21 में प्रति माह औसतन 11.8 लाख और वित्त वर्ष 20 में प्रति माह औसतन 4.2 लाख डीमैट अकांउट खोले गये थे।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   27 May 2022 4:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story