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वेतन कटौती : हीरा उत्पादन 21 फीसदी घटा, 10,000 कर्मियों की नौकरी गई, अन्य के वेतन में कटौती

हाईलाइट
- हीरा उत्पादन 21 फीसदी घटा, 10,000 कर्मियों की नौकरी गई, अन्य के वेतन में कटौती
डिजिटल डेस्क, सूरत। गुरुवार, 19 जनवरी को हीरा मजदूर 31 वर्षीय विपुल जिंजला ने जहर खा लिया और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उनके छोटे भाई परेश ने मीडिया को बताया कि पिछले कुछ महीनों से उनके बड़े भाई को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि बढ़ती महंगाई के साथ-साथ वेतन कम हो रहा था और उनके भाई के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया था, जिसमें वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गए।
सूरत डायमंड के अध्यक्ष रमेश जिलारिया ने कहा कि विपुल अकेले नहीं हैं, हजारों श्रमिक अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, आवास या वाहन ऋण, बच्चों की स्कूल की फीस और दैनिक घरेलू खर्चो को पूरा करने में नियमित रूप से ईएमआई का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है।
यूनियन के मोटे अनुमान के मुताबिक, उत्पादन में कटौती और छोटी इकाइयों के बंद होने के कारण पिछले कुछ महीनों में करीब 10,000 हीरा श्रमिकों की नौकरी चली गई है। संघ मांग कर रहा है कि राज्य को हीरा क्षेत्र में श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करना चाहिए, जिसे फैक्ट्री अधिनियम के तहत कवर किया जाना चाहिए, जहां श्रमिकों को भविष्य निधि, निश्चित काम के घंटे और अन्य सामाजिक और स्वास्थ्य सुरक्षा लाभ मिले, जो अन्य मजदूरों को मिलते हैं।
जिलारिया की शिकायत है कि वर्तमान में हीरा श्रमिकों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है, क्योंकि वे पंजीकृत कर्मचारी नहीं हैं और वेतन पर्ची या आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें अन्य लाभ भी नहीं मिलते हैं। जेम्स एंड ज्वेलरी प्रमोशन काउंसिल के रीजनल चेयरमैन विजय मंगुकिया बताते हैं कि यह सच है कि उत्पादन में 20 से 21 फीसदी की कमी आई है, क्योंकि क्रिसमस के चरम के दौरान अमेरिका और अन्य देशों से आयात में 18 फीसदी की गिरावट आई थी।
आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2022 में देश का तैयार हीरा निर्यात 2356.70 मिलियन डॉलर रहा, जो दिसंबर 2021 के 2905 मिलियन डॉलर के निर्यात से 18.90 प्रतिशत कम है। इस वजह से, उत्पादन इकाइयों को उत्पादन में कटौती करनी पड़ती है, मंगुकिया मानते हैं, लेकिन इस बात से असहमत हैं कि हजारों मजदूर बेरोजगार हैं। श्रमिकों की छंटनी से उत्पादन में कटौती नहीं होती है, इसके बजाय, इकाइयों ने काम के घंटों को 12 से घटाकर 10 या 8 घंटे कर दिया है और एक साप्ताहिक अवकाश के बजाय अब इकाइयां 2 साप्ताहिक अवकाश देती हैं।
जिलरिया ने इस स्पष्टीकरण का प्रतिवाद किया और आरोप लगाया कि काम के घंटों में कटौती और साप्ताहिक अवकाश बढ़ने के कारण, श्रमिक कम हीरों को काटते और पॉलिश करते हैं। चूंकि उनकी तनख्वाह टुकड़ों और प्रदर्शन से जुड़ी हुई है, ऐसे में ये कदम कर्मचारियों के लिए विनाशकारी साबित हो रहे हैं।
सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानूभाई वेकारिया ने दावा किया कि पिछले दो से तीन महीनों में एक भी हीरा इकाई बंद नहीं हुई है। उल्टा उन्होंने दावा किया कि मंदी को लेकर अनावश्यक हो-हल्ला मचाया जा रहा है, जबकि उद्योग शत प्रतिशत क्षमता से काम कर रहे हैं। वेकारिया के मुताबिक, सूरत में 3000 इकाइयां सात लाख श्रमिकों को रोजगार दे रही हैं।
सोर्सः आईएएनएस
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भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।