डीजल की महंगाई से वस्तुओं की कीमतें बेअसर
नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)। कोरोना काल में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही है वृद्धि का असर अब तक जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर नहीं पड़ा है।
खासतौर से डीजल की कीमतों में वृद्धि का सीधा असर मालभाड़ा पर होता है, जिससे वस्तुओं की परिवहन लागत बढ़ जाती है। लेकिन कोरोना काल में ट्रकों का भाड़ा बढ़ने के बजाय कम ही हुआ है। हालांकि डीजल की कीमतों में हुई वृद्धि से परिवहन कारोबारियों की लागत बढ़ गई है।
डीजल के दाम में लगातार 20 दिनों से वृद्धि का सिलसिला जारी है और इन 20 दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में डीजल का भाव 10.80 रुपये लीटर बढ़ गया है और देश के अन्य हिस्सों में भी डीजल के दाम में करीब 9.10 रुपये लीटर की बढ़ोतरी हुई है। डीजल के दाम में हुई इस वृद्धि से परिवहन लागत में बेशक बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसका असर अब तक मालभाड़ा में देखने को नहीं मिला है।
बीते दो सप्ताह में जरूरियात की किसी भी वस्तु की कीमतों में ऐसी कोई वृद्धि नहीं हुई है जिससे मालूम हो कि तेल की महंगाई से वस्तुएं व सेवाएं महंगी हो गई हैं।
परिवहन कारोबार से जुड़े लोग बताते हैं कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी सप्लाई चेन अब तक दुरुस्त नहीं होने से परिवहन की मांग कम है, इसलिए मालभाड़ा में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
परिवहन कारोबारी सचिन जैन ने आईएएनएस को बताया कि ट्रकों का किराया भी मांग और आपूर्ति से तय होता है। इस समय परिवहन की मांग कम है, इसलिए किराया बढ़ने का सवाल ही नहीं है, जबकि डीजल की कीमतों में वृद्धि से परिवहन की लागत बढ़ गई है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली से मुंबई का ट्रक भाड़ा (15 टन वजन)लॉकडाउन से पहले मार्च में 40,000 रुपये था, जोकि लॉकडाउन के दौरान घटकर 36,000 रुपये पर आ गया। जैन ने बताया कि दरअसलए परिवहन की मांग कम होने के कारण ट्रकों के किराए में लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 10 फीसदी की गिरावट आई और अब तक वही किराया चल रहा है।
आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (आईएमटीसी)के जनरल सेक्रेटरी नवीन कुमार गुप्ता ने कहा कि डीजल के दाम में रोजाना होने वाली वृद्धि का असर मालभाड़ा पर जल्दी नहीं आता है क्योंकि ट्रकों का किराया मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। मसलन, दिल्ली से मुंबई का किराया कम है जबकि मुंबई से दिल्ली का किराया ज्यादा है क्योंकि मुंबई में मांग ज्यादा है और दिल्ली में कम।
हालांकि परिवहन कारोबारियों का कहना है कि मालभाड़ा में कम से कम 10 फीसदी की वृद्धि करने पर ही उनकी लागत की भरपाई हो पाएगी।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के जींस कारोबारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस समय सप्लाई चेन पूरी तरह दुरुस्त नहीं हो पाई है। परिवहन मांग कम है और दक्षिण भारत में जो अनाज जाता है वह ज्यादातर मालगाड़ी से जाता है क्योंकि उस पर परिवहन लागत कम है। उन्होंने कहा कि बीते दो सप्ताह में ट्रक के किराए में कोई ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है।
यहां तक कि फलों और सब्जियों के दाम में भी बीते दो सप्ताह के दौरान ऐसी कोई वृद्धि नहीं हुई है जिससे यह पता चले कि डीजल व पेट्रोल के दाम में वृद्धि का असर रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर प़ड़ा है।
Created On :   26 Jun 2020 12:30 PM IST