भास्कर खास: चीन को सबक सिखाने के लिए स्वदेशी अपनाकर उसकी कमर तोड़ें- सोनम वांगचुक

भास्कर खास: चीन को सबक सिखाने के लिए स्वदेशी अपनाकर उसकी कमर तोड़ें- सोनम वांगचुक

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन से टकराव के बीच शिक्षाविद और इनोवेटर सोनम वांगचुक ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का अभियान शुरू किया है। उन्होंने चीन को सबक सिखाने और उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के लिए यह मुहिम छेड़ी है। वांगचुक ने कहा कि चीनी सामान का इतने बड़े पैमाने पर बायकॉट किया जाए कि उसकी अर्थव्यवस्था टूट जाए और वहां की जनता गुस्से में तख्ता पलट कर दे। ये अभियान भारत के लिए वरदान भी साबित होगा। सोनम वांगचुक ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में अपनी इस मुहिम के कई आयामों के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि चीनी सॉफ्टवेयर एक हफ्ते और चीनी हार्डवेयर का एक साल में बॉयकॉट कर देना चाहिए। हमें इतना दृढ़ निश्चय होना पड़ेगा कि चीन में बना कोई भी सामान नहीं खरीदना है, तो नहीं ही खरीदना है। चाहे जो हो जाए।

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अभी हम इन चीजों के लिए चीन पर निर्भर 
अभी हम मैन्युफैक्चरिंग, हार्डवेयर दवाओं के कच्चे माल, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट, चप्पल- जूते जैसी कई चीजों लिए चीन पर निर्भर हैं। क्योंकि इनमें से ज्यादातर सामानों का उत्पादन हमारे देश में कम होता है होता भी है, तो थोड़ा महंगा होता है। लेकिन देश की जनता को यह समझना होगा कि चीन से खरीदा माल चीनी सरकार की जेब में जाएगा, जिससे वे बंदूकें खरीदकर हमारे खिलाफ इस्तेमाल करेंगे। अगर हम हमारे देश में बना थोड़ा महंगा सामान भी खरीदते हैं तो, हमारे मजदूर- किसानों के लिए काम आएगा, हमारे देश के पैसे का इस्तेमाल चीनी सरकार को हमारे खिलाफ नहीं करने देना है।

योजनाबद्ध तरीके से करना होगा बॉयकॉट
हालांकि उन्होंने कहा कि, चीन के सामान का बॉयकॉट हम तुरंत नहीं कर सकते हैं इसे योजनाबद्ध तरीके से करना होगा। हार्डवेयर की चीजों के बॉयकॉट को एक साल तक हटाएं, इस बीच हमारी देश की कंपनियां अन्य देशों से सोर्स करने तरीके खोजें। कच्चे सामान पर निर्भर होने वाली कंपनियां अन्य तरीके से सोर्सिंग शुरू करें। चीनी सॉफ्टवेयर एक हफ्ते और चीनी हार्डवेयर एक साल में बॉयकॉट कर देना चाहिए। हमें इतना दृढ़ निश्चय होना चाहिए कि चीन में बना कोई भी सामान हम लेंगे ही नहीं। इसे ऐसे समझें- जैन धर्म के लोग मीट प्याज जैसी चीजें नहीं खाते हैं। प्रतिबद्ध हैं कि चाहे जो जाए, इसका सेवन नहीं करेंगे। 

नतीजा यह रहा कि इस परंपरा का असर बाजार पर भी पड़ा। ऐसे भोजनालय, रेस्त्रां शुरू हो गए, जो जैन खाना देने लगे। उनकी आदत और परंपरा से संबंधित नया बाजार खड़ा हो गया। जिस तरह जैनियों के लिए जैन फूड तैयार होता है, वैसे ही चीन पर निर्भरता खत्म करने के लिए गैर- चाइनीज बाजार खड़ा करना होगा। इससे दूसरे अन्य देशों से विकल्प खुद ही आएंगे। उन्हें दिखेगा कि चीनी सामान के बॉयकॉट से देश में एक बहुत बड़ा वैक्यूम है, जिसका फायदा वो खुद उठाना चाहेंगी। 

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इन देशों की कंपनियां खुद आएंगी
बांग्लादेशी, वियतनाम जैसे अन्य देशों की कंपनियां आएंगी और चीन में बने उत्पादों के बॉयकॉट से खाली हुई जगह पर इन्हें मौका मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि, मुहिम जब जनता की तरफ से शुरू होगी तभी सफल होगी, हमें सरकार पर हर चीज नहीं छोड़नी चाहिए। केन्द्र सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है। चीनी सामान का बॉयकॉट करने के मामले में कमी सरकार की नहीं, बल्कि हम नागरिकों की है। हम अपनी सहूलियत के लिए मेड इन चाइना का सामान खरीदते हैं। बड़ी तस्वीर नहीं देख पाते हैं। 

अगर लोगों की सोच बदलेगी तो सरकार को अपनी नीतियों में खुद ब खुद परिवर्तन करना पड़ जाएगा। अगर सरकार अपनी ओर से चीन के सामान पर पाबंदी जैसा कोई सख्त कदम उठाती है, तो हमारे ही लोग सरकार पर तानाशाह होने का आरोप लगाएंगे। इसलिए मुहिम की शुरुआत लोगों की ओर से होनी चाहिए।

Created On :   30 May 2020 6:22 AM GMT

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