अलंग के जहाज रिसाइकल उद्योग को बचाने के लिए यूरोपीय संघ के नियमों को लागू करने की जरूरत

EU regulations need to be implemented to save Alangs ship recycling industry
अलंग के जहाज रिसाइकल उद्योग को बचाने के लिए यूरोपीय संघ के नियमों को लागू करने की जरूरत
बेजोड़ प्रतिस्पर्धा अलंग के जहाज रिसाइकल उद्योग को बचाने के लिए यूरोपीय संघ के नियमों को लागू करने की जरूरत
हाईलाइट
  • अलंग के जहाज रिसाइकल उद्योग को बचाने के लिए यूरोपीय संघ के नियमों को लागू करने की जरूरत

डिजिटल डेस्क, भावनगर। अलंग रिसाइक्लिंग यार्ड को पाकिस्तान और बांग्लादेश से बेजोड़ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही काफी नहीं, रुपये का कमजोर होना भी उसकी मुश्किलें बढ़ा रहा है। जिस यार्ड में एक दशक पहले 415 जहाजों को रिसाइकल किया जाता था, उसे 50 फीसदी क्षमता पर भी चलाना मुश्किल हो रहा है।

हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2024 तक जहाजों की रिसाइक्लिंग क्षमता को दोगुना करने की परिकल्पना की थी, लेकिन यूरोपीय संघ के नियमों को पूरा किए जाने तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मुकेश पटेल ने कहा- यह संभव है, लेकिन दुर्भाग्य से सरकारी तंत्र खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन और अन्य शर्तों पर यूरोपीय संघ के नियमों को पूरा करने में बहुत धीमी गति से काम कर रहा है। इस दिशा में पहला कदम छोटे भूखंडों का समामेलन है, यूरोपीय संघ के मानदंडों के अनुसार आकार में वर्तमान भूखंड 30 से 120 मीटर चौड़ा है। प्लॉट के भीतर खतरनाक कचरे को निपटाने की सुविधा, प्रशिक्षण केंद्र और श्रमिकों के लिए कैंटीन, साथ ही स्टील को तोड़ने, अलग करने के लिए जगह स्थापित करनी होगी, जिसके लिए न्यूनतम प्लॉट का आकार 250 से 300 मीटर चौड़ा होना चाहिए।

उन्होंने कहा- इसके लिए गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) को पहले समामेलन/एकीकरण की अनुमति देनी होगी। यदि ये कदम उठाए जाते हैं तो एक बड़ी समस्या हल हो जाएगी, लेकिन उसके लिए भी बोर्ड नए मानदंड तय करने में काफी समय ले रहा है।

शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव और अधिवक्ता हरीश परमार ने कहा- खराब समय में भी, इन भूखंडों के लिए जीएमबी शुल्क बहुत अधिक हैं, उन्हें कम करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा उद्योग को खत्म कर रही है, पाकिस्तान और बांग्लादेश के शिप ब्रेकर जहाजों के लिए बहुत अधिक कीमत चुका रहे हैं, जिसे भारतीय शिप ब्रेकर वहन करने में सक्षम नहीं हैं। यही कारण है कि खरीद और रिसाइक्लिंग में भारी गिरावट आई है और 50 प्रतिशत प्लॉट यार्ड में बेकार पड़े हैं।

जीएमबी और एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, शिप ब्रेकिंग यार्ड 2011-12 में अपने चरम पर था, जब इसने एक साल में 415 जहाजों को रिसाइकिल किया, लेकिन उसके बाद यह संख्या लगातार गिरती जा रही है। 2016 में 313 जहाजों को पुनर्नवीनीकरण किया गया, 2018 (258), 2019 (190), 2020 (199) और पिछले साल केवल 187।

पटेल ने कहा कि अगर जीएमबी ट्रॉमा सेंटर और अन्य चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करता है, तो इससे यूरोपीय संघ के नियमों को पूरा करने में मदद मिलेगी। एक बार ईयू ने अनुमति दे दी, तो इस रीसाइक्लिंग यार्ड के लिए जहाजों की कमी नहीं होगी। उद्योग को यह भी उम्मीद है कि सरकार युद्धपोतों के लिए अमेरिका, रूस और ब्राजील की सरकारों से अनुमति ले सकती है, जिससे उद्योग को वापस उछाल में मदद मिलेगी।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   25 Dec 2022 6:01 PM IST

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