रेरा आने के बाद माफियाओं से मिली मुक्ति, लेकिन अभी भी बदलाव की जरूरत

Freedom from mafia after the coming of RERA, but change is still needed
रेरा आने के बाद माफियाओं से मिली मुक्ति, लेकिन अभी भी बदलाव की जरूरत
एक्सपर्ट्स रेरा आने के बाद माफियाओं से मिली मुक्ति, लेकिन अभी भी बदलाव की जरूरत
हाईलाइट
  • कंस्ट्रक्शन सेक्टर दो साल के कोविड-19 महामारी के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कई तिमाहियों की उम्मीदों पर रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा-1 मई, 2017 से प्रभावी) ने पूरे रियल्टी क्षेत्र के लिए बेहतरीन काम किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह देश के सबसे बड़े राजस्व प्राप्ति के सबसे बड़े स्तोत्र में से एक है।पहले, बिल्डिंग इंडस्ट्री को माफिया, ठग और गुंडों का डोमेन माना जाता था, लेकिन रेरा की शुरूआत के बाद, बिल्डरों, खरीदारों, फाइनेंसरों, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों समेत कई स्टेकहोल्डर्स के चेहरों पर मुस्कान आई है। उन्हें सम्मान मिला है।

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) हाउसिंग एंड रेर कमेटी के अध्यक्ष आनंद जे गुप्ता को इसके लिए वाहवाही मिली। आपको बता दें कि वह मुंबई एवाईजी रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड ग्रुप के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक भी हैं।

आनंद जे गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, रियल्टी क्षेत्र की निगरानी संस्था, रेरा ने पांच वर्षों में अपना काम काफी अच्छा किया है, हम चाहते हैं कि बिल्डिंग इंडस्ट्री में और अधिक सुधार के लिए कानून में कुछ संशोधन किए जाएं। कंस्ट्रक्शन सेक्टर दो साल के कोविड-19 महामारी के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा। उन्होंने आगे कहा, हालांकि, हमें खुशी है कि 2022 में, इसने 2019 की तुलना में औसतन 15 प्रतिशत अधिक बिक्री हासिल की।

गुप्ता ने कहा, रेरा के बाद, कई अन्य राज्यों ने अपने समान कानून बनाए, लेकिन कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल या तमिलनाडु जैसे कुछ ने नियमों के साथ छेड़छाड़ की, जाहिर तौर पर स्थानीय दबाव के कारण। वे अदालतों में विफल रहे और अंत में हार का मुंह देखना पड़ा। उन्होंने कहा, रेरा का स्थानीय निकायों पर कोई नियंत्रण नहीं है। भवन योजनाओं को मंजूरी देने में अक्सर लंबा समय लगता है और बिल्डरों को नागरिक निकायों के कारण होने वाली देरी के लिए दंडित किया जाता है।

यहां तक कि आरबीआई नियम जैसे एनपीए घोषणा मानदंड जो रियल्टी क्षेत्र के लिए व्यावहारिक नहीं हैं, हमारी प्रगति में बाधा डालते हैं।उन्होंने कहा कि एक समाधान यह हो सकता है कि स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं), बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रेरा के दायरे में लाया जाए और परियोजनाओं में देरी के लिए जवाबदेह बनाया जाए। आरईआरए को यह सुनिश्चित करने के लिए सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार होना चाहिए। खरीददार हमेशा सुरक्षित रहते हैं, खासकर तब से जब बड़े कॉरपोरेट भी बड़े पैमाने पर रियल्टी क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।

गुप्ता ने कहा, लक्ष्य 0 पर अटकी परियोजनाओं को हासिल करना होगा। भारत में कुल परियोजनाओं में से, लगभग 10 प्रतिशत वर्तमान में डेवलपर्स के नियंत्रण में न होने कारण रुके हुए हैं। हालांकि कुछ परियोजनाएं बाद में शुरू हो सकती हैं। अब समय आ गया है कि रेरा इस तरह के मुश्किल मुद्दों को हल करे और उन गरीब खरीदारों के फंसे परियोजनाओं को फिर से शुरू करे, जो अपने आशियाने के लिए जीवन भर की पूंजी निवेश कर देते हैं।

उन्होंने आखिर में कहा, इंडियन रियल्टी सेक्टर की क्षमता दुनिया में सबसे बड़ी है। हमें विकास प्रक्रिया में शामिल होने के लिए विदेशी निवेश का लाभ उठाने की आवश्यकता है। यह तभी हो सकता है जब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को अनुकूल काम करने का माहौल मिले। साथ में रेरा को कानून से मजबूत समर्थन मिले। उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए प्रणाली केंद्र को इन पहलुओं पर विचार करना चाहिए।

आईएएनएस

Created On :   24 April 2022 2:00 PM IST

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