सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन जैसी सुविधाएं देने में नीचे से दूसरे पायदान पर भारत

India is moving ahead with a very slow pace towards strengthening retirement income system
सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन जैसी सुविधाएं देने में नीचे से दूसरे पायदान पर भारत
सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन जैसी सुविधाएं देने में नीचे से दूसरे पायदान पर भारत
हाईलाइट
  • नीदरलैंड और डेनमार्क सबसे बेहतर देश
  • भारत कर्मचारियों को पेंशन जैसी सुविधाएं देने में 33 वें स्थान पर
  • भारत में सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली सुवधाओं की कमी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत सेवानिवृत्ति आय प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में काफी धीमी गती से आगे बढ़ रहा है। भारत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को सेवाएं देने के मामले में 34 देशों में 33 वें स्थान पर है। भारत यह सेवा प्रदान करने के मामले में ग्रेड डी श्रेणी में आता है। इस श्रेणी में भारत के साथ जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको तथा अर्जेन्टीना जैसे देश भी शामिल हैं।

34 देशों पर अध्ययन
सेवानिवृत्ति आय प्रणाली पर की गई इस रिसर्च में 34 देशों को शामिल किया गया है। इस अध्ययन में नीदरलैंड और डेनमार्क ने 80.3 और 80.2 अंकों के साथ ए श्रेणी में जगह बनाई है।  नीदरलैंड और डेनमार्क में वैश्विक स्तर की सेवानिवृत्ति आय प्रणाली है। इन देशों ने अपनी उम्रदराज हो चुकी आबादी के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की हैं।

भारत के अंक घटे
अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत ने भरोसेमंद और ईमानदार व्यवस्था के लिहाज से 2017 के स्तर को बरकरार रखा है। हालांकि भारत का सूचकांक मूल्य 2017 के 44.9 से घटकर 2018 में 44.6 हो गया है। भारत में पेशन प्रणाली को लेकर काफी विसंगतियां हैं जो अक्सर उजागर होती रहती हैं। भारत सरकार को कई बार अपने पेंशन सिस्टम में बदलाव भी करने पड़े हैं।

इनकी स्थिति बेहतर
पर्याप्त उप-सूचकांक के मामले में जर्मनी 79.9 अंक और फ्रांस 79.5 अंक के साथ सबसे आगे हैं। मेक्सिको 37.3  और भारत 38.7 के साथ निचले स्थान पर हैं।

उम्रदराज आबादी चिंता का विषय
मेलबर्न मर्सर ग्लोबल पेंशन सूचकांक के अनुसार दुनिया भर में उम्रदराज होती जनसंख्या सरकारों के लिये मुसीबत है। सरकारें सेवानिवृत्त लोगों को अच्छी वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने को लेकर संघर्ष कर रही हैं। सरकारों को ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी जो व्यक्तिगत रूप से पर्याप्त हो साथ ही अर्थव्यवस्था के लिये भी बेहतर हो। 


 

Created On :   23 Oct 2018 2:39 AM GMT

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