बिहार में सरकार के बजाय अब क्रेता-विक्रेता तय करेंगे छोआ का मूल्य

Instead of the government in Bihar, now the buyers and sellers will decide the price of Choa
बिहार में सरकार के बजाय अब क्रेता-विक्रेता तय करेंगे छोआ का मूल्य
मूल्य निर्धारण बिहार में सरकार के बजाय अब क्रेता-विक्रेता तय करेंगे छोआ का मूल्य
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  • बिहार में सरकार के बजाय अब क्रेता-विक्रेता तय करेंगे छोआ का मूल्य

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में अब सरकार नहीं, बल्कि क्रेता-विक्रेता आपसी सहमति से छोआ का मूल्य निर्धारण कर सकेंगे। गन्ने से निकलने वाले छोआ का मूल्य निर्धारण के अधिकार के बाद किसानों को लाभ होने की उम्मीद है। बिहार विधानसभा में शुक्रवार को विधि विभाग द्वारा बिहार छोआ (नियंत्रण)(संशोधन) विधेयक, 2022 सदस्यों को वितरित किया गया। इसे सोमवार को विधानमंडल में रखा जा सकता है। इस विधेयक के जरिये बिहार छोआ (नियंत्रण) अधिनियम 1947 की धारा आठ में संशोधन किया गया है।

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार के मुताबिक, राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद छोआ से सिर्फ पेट्रोल में समिश्रण के लिए इथेनॉल निर्माण की अनुमति दी गई है। मूल्य निर्धारण का प्रावधान होने की वजह से वर्ष 2021 में छोआ का मूल्य छोआ के ग्रेड के आधार पर पुर्नर्निधारित किया गया है।

गन्ने की पेराई के बाद उससे निकलने वाले छोआ का उपयोग स्प्रिट, सैनिटाइजर, इथेनॉल आदि बनाने में किया जाता है। राज्य सरकार छोआ की कीमत बाजार से ही निर्धारित करना चाहती है, ताकि चीनी मिलों के साथ गन्ना उत्पादकों को भी प्रोत्साहन मिले। सदन में इसके पारित होने के बाद इसके बाजार मूल्य का निर्धारण विक्रेता और क्रेता की आपसी सहमति से तय होगी, जिससे उन्हें अन्य राज्यों की तरह ही छोआ का बाजार मूल्य प्राप्त हो सके।

इस समय उत्तर प्रदेश सहित कई शहरों में शीरा का मूल्य बाजार निर्धारित करता है। चीनी मिलों को मुख्य रूप से चीनी और छोआ से सीधी कमाई होती है। छोआ गन्ने के बाय प्रोडक्ट है, जो चीनी निकालने के बाद बचता है।

सोर्स: आईएएनएस

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Created On :   25 Jun 2022 12:30 PM IST

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