अगली पीढ़ी के लिए संजोई जा रहीं नैरोगेज की यादें

Memories of Narrowage being cherished for the next generation
अगली पीढ़ी के लिए संजोई जा रहीं नैरोगेज की यादें
अगली पीढ़ी के लिए संजोई जा रहीं नैरोगेज की यादें
हाईलाइट
  • अगली पीढ़ी के लिए संजोई जा रहीं नैरोगेज की यादें

ग्वालियर/झांसी, 28 फरवरी (आईएएनएस)। विकास लगातार नई इबारत लिख रहा है, कभी आवागमन का साधन घोड़ा गाड़ी हुआ करता था तो आज मोटर कार है, हवा से बातें करती रेल गाड़ियां हैं और आकाश में उड़ान भरते जहाज। नैरोगेज की पटरी पर दौड़ती गाड़ियां आने वाले समय में गुजरे वक्त की बात हो जाएंगी, नई पीढ़ी नैरोगेज की गाड़ियों की गाथा को जान सके, इसके लिए रेलवे डाक्यूमेंटरी तैयार करा रहा है।

झांसी रेल मंडल के अधीन आने वाले ग्वालियर में श्योपुर तक नैरोगेज रेल लाइन है। लगभग 200 किलोमीटर लंबी यह नैरोगेज रेल लाइन इस इलाके की जीवनरेखा है। इस लाइन पर दौड़ने वाली गाड़ी पर यात्रा करना किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं होता, क्योंकि इस गाड़ी की रफ्तार कई स्थानों पर पैदल चलने से भी धीमी हो जाती है। इतना ही नहीं, पहाड़ियों के बीच से गुजरती गाड़ी प्राकृतिक के मनोरम नजारे से रूबरू करा जाती है।

देश में गिनती के स्थान ही ऐसे हैं, जहां नैरोगेज पर गाड़ियां दौड़ रही हैं। जिन स्थानों पर भी गाड़ी चल रही है, उनका उपयोग पर्यटन की दृष्टि से हो रहा है। वहीं ग्वालियर-श्योपुर की नैरोगेज रेल लाइन आज भी यहां की बड़ी आबादी की जरूरत बन गया है। इस गाड़ी से यात्रा करना सस्ता तो है ही साथ में रोमांचकारी भी होता है।

इतना तो तय है कि आने वाले समय में ग्वालियर-श्योपुर की नैरोगेज रेल लाइन पर चलने वाली गाड़ी भी गुजरे दौर की बात हो जाएगी, क्योंकि हर तरफ नैरोगेज को ब्रॉड गेज में बदलने की मुहिम जारी है, इसे भी ब्राड गेज में बदलने की मांग लगातार हो रही है।

झांसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज सिंह ने आईएएनएस को बताया, आम तौर पर रेल प्रांत की चौड़ाई ढाई मीटर होती है, मगर ग्वालियर-श्योपुर की रेल प्रांत की चौड़ाई दो मीटर ही है। आने वाली पीढ़ी इस रेल लाइन के बारे में आसानी से जान सके इसके लिए रेलवे डॉक्यूमेंटरी बना रहा है। इसकी शूटिंग भी शुरू हो चुकी है।

झांसी मंडल के डीआरएम संदीप माथुर का कहना है कि यह नैरोगेज गाड़ी इस क्षेत्र के ग्रामीणों की लाइफ लाइन है। इसका रेलवे चुनौतियों की बीच इसका संचालन कर रहा है। इसके कलपुर्जे काफी महंगे पड़ते हैं और ऑर्डर देने पर ही उपलब्ध होते हैं।

इस गाड़ी की शुरुआत सिंधिया राजघराने ने की थी और इसे चलते हुए सौ साल से ज्यादा हो चुके हैं। यह गाड़ी व्यापारियों की माल की ढुलाई के साथ लोगों के आवागमन के मकसद से शुरू की गई थी। आज भी यह गाड़ी लोगों की जिंदगी को खुशहाल बनाने में लगी है।

इस रेल लाइन पर चलने वाली गाड़ियों पर गौर करें तो ग्वालियर से हर रोज दो गाड़ियां सबलगढ़ और एक गाड़ी श्योपुर तक जाती है। यही तीन गाड़ियां श्योपुर व सबलगढ़ से लौटकर ग्वालियर आती हैं। इन गाड़ियों से हर रोज औसतन चार से पांच हजार लोग यात्रा करते हैं। इन गाड़ियों के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि इन गाड़ियों की छत पर तो लोग सवारी करते ही हैं, दरवाजे पर भी बड़ी संख्या में लोग लटके नजर आ जाते हैं।

Created On :   28 Feb 2020 6:30 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story