हरियाणा में एक लाख एकड़ भूमि पर होगी प्राकृतिक खेती

Natural farming will be done on one lakh acres of land in Haryana
हरियाणा में एक लाख एकड़ भूमि पर होगी प्राकृतिक खेती
हरियाणा में एक लाख एकड़ भूमि पर होगी प्राकृतिक खेती
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नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। हरियाणा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए एक लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती करने की योजना है। इस प्राकृतिक खेती का सबसे बड़ा लाभ दिल्ली को मिलेगा। दरअसल हरियाणा से सब्जियों, फल एवं अनाज आदि की अधिकांश पैदावार बिक्री के लिए दिल्ली लाई जाती है।

प्राकृतिक खेती की यह महत्वाकांक्षी योजना स्वयं हरियाणा सरकार की देखरेख में शुरू की गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा, हरियाणा ने 1 लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक कृषि का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए यहां करीब 2 करोड़ 11 लाख की लागत से निर्मित प्राकृतिक कृषि केंद्र बनाया गया है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने मंत्रिमंडल और विधायकों के साथ गुरुवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में पहुंचे और गुरुकुल के प्राकृतिक खेती फार्म हाउस का भी बारीकी से अवलोकन किया।

यहां प्राकृतिक कृषि फार्म हाउस में बेर, हल्दी, आलू, गाजर, बैंगन, शलगम, बंदगोभी, पालक, गन्ना, गेंहू, चना, घीया, तोरी, कद्दू सहित अन्य फसलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

मुख्यमंत्री ने कहा, रसायनों के उपयोग एवं उनसे जनित बीमारियों तथा बढ़ती कृषि लागत के मद्देनजर पुन: प्राकृतिक खेती को अपनाया जाना समय की आवश्यकता है। इस पद्घति को अपनाने से उच्च गुणवता युक्त, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट उत्पाद प्राप्त होते हैं। रासायनिक कृषि से मानव, पशु-पक्षी, जल एवं पर्यावरण का नुकसान होता है जबकि कम लागत प्राकृतिक कृषि से इन सबके विनाश को रोका जा सकता है और प्राकृतिक संसाधनों की शाश्वतता निरंतर बढ़ती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती का माहौल को तैयार करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों से पांच-पांच सौ किसानों को ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि ये किसान अपने-अपने जिलों के छोटे और बड़े किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक कर सकें। इसके अलावा, जहां सरकार देशी गाय पालकों को प्रोत्साहित करेगी वहीं किसानों की फसलों के लिए 1 हजार एफपीओ भी स्थापित करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, इस प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मनुष्य अपनी अहम भूमिका अदा कर सकता है। आज देश और प्रदेश के सामने प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने, जल संरक्षण, लोगों के स्वास्थ्य को ठीक रखने, किसानों की लागत को कम करके आय को दोगुना करने और उत्पादन को बढ़ाने, लोगों को अच्छी गुणवता की खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए आज सभी को प्राकृतिक खेती को अपनाने की निहायत जरूरत है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति को बचाने के लिए पृथ्वी, जल, अग्नि, हवा और आकाश के बीच में संतुलन को बनाए रखना बहुत जरूरी है, इसलिए इस संतुलन को बनाए रखने के लिए पदमश्री सुभाष पालेकर के विचारों को अपनाकर प्राकृतिक खेती की तरफ कदम बढ़ाना होगा।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की उपज का मार्केट में दो से तीन गुना दाम अधिक मिलता है और इस खेती से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। हरियाणा देश की राजधानी दिल्ली के निकट होने के कारण भविष्य में कभी भी मार्केटिंग की समस्या भी पैदा नहीं होगी। गुजरात में पिछले 7 माह में 1 लाख 25 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा चुका है और इससे पहले हिमाचल में भी पिछले 4 सालों में लाखों किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का काम किया जा चुका है।

हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा, गुरुकुल कुरुक्षेत्र पूरे देश में एक उत्कृष्ट माडल के रूप में विकसित हो चुका है, इस माडल को आज प्रदेश के प्रत्येक किसान को अपनाने की जरूरत है। इन तमाम पहलुओं को जहन में रखते हुए सरकार ने 1 लाख भूमि पर प्राकृतिक खेती का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए एक बड़ी मंडी की व्यवस्था करेगा, इस मंडी में उच्च गुणवता के उत्पाद मिल पाएंगे।

इन तमाम पहलुओं को जहन में रखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बजट में आगामी 3 सालों में एक लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

-- आईएएनएस

Created On :   12 March 2020 5:01 PM GMT

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