हाईलाइट
  • सरकार ने 6 सदस्यों को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 91 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबी और नकदी संकट से जूझ रही इंफ्रास्ट्रकचर डेवलपमेंट और फाइनेंस कंपनी (ILFS) का नियंत्रण सरकार ने अपने हाथों में ले लिया है। कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) पहुंचने के बाद ILFS के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पुनर्गठन की मंजूरी मिल गई है। अब सरकार ILFS के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में छह सदस्यों को नियुक्त करेगी।

उदय कोटक करेंगे बोर्ड को लीड


जिन सदस्यों को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया जा रहा है उनमें कोटक महिंद्रा बैंक के MD उदय कोटक, IS ऑफिसर विनीत नय्यर, पूर्व SEBI चीफ जीएन वाजपेयी, ICICI बैंक के पूर्व चेयरमैन जीसी चतुर्वेदी, IS ऑफिसर मालिनी शंकर और नंद किशोर है। उदय कोटक नए बोर्ड के चेयरमैन हो सकते हैं। 8 अक्टूबर से पहले नए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग होगी। NCLT 31 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा। ट्रिब्यूनल से कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने कहा था कि अगर ILFS डूबती है तो कई म्युचुअल फंड भी डूब जाएंगे। कुल मिलाकर सरकार ने ILFS के लिए वो कदम उठाया है जो उसने आईटी कंपनी सत्यम के लिए उठाए थे।

क्या है ILFS संकट?
बता दें कि ILFS कंपनी पर पिछले कुछ सालों से लगातार कर्ज बढ़ रहा है। पिछले दो महीनों से तो कंपनी की स्थिति बद से बदतर हो गई। मूल कंपनी के साथ-साथ सहायक कंपनियां ब्याज तक नहीं चुका पा रही है। अकेले ILFS पर 16 हजार 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है जबकि सहायक कंपनियों को मिलाकर कर्ज की रकम 91 हजार करोड़ रुपए हो जाती है। कंपनी के कई प्रोजेक्ट्स अधूरे है, जिसके चलते कंपनी को पैसा नहीं मिल रहा है। कंपनी की कुल 250 से अधिक सब्सिडियरीज और ज्वाइंट वेंचर्स हैं।

कर्ज में डूबने के चलते शनिवार को कंपनी को बड़ी राहत उसके शेयरधारक LIC, ओरिक्स कॉर्प और SBI से मिली थी। इन तीन कंपनियों ने राइट्स इश्यू खरीद के माध्यम से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का ऐलान किया था। वर्तमान में कंपनी में LIC की 25 प्रतिशत से अधिक और ओरिक्स की 23 प्रतिशत से कुछ अधिक हिस्सेदारी है। वहीं कंपनी को सरकार के कंट्रोल में लेने की खबरों के चलते ILFS के शेयर में सोमवार को 20% की तेजी देखी गई।

Created On :   1 Oct 2018 1:16 PM GMT

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