ऋषभ गर्ग की पुस्तक, ‘ब्लॉकचैन फॉर रियल वर्ल्ड ऍप्लिकेशन्स’ का न्यूयॉर्क में विमोचन

Rishabh Gargs book Blockchain for Real World Applications released in new york
ऋषभ गर्ग की पुस्तक, ‘ब्लॉकचैन फॉर रियल वर्ल्ड ऍप्लिकेशन्स’ का न्यूयॉर्क में विमोचन
पुस्तक विमोचन ऋषभ गर्ग की पुस्तक, ‘ब्लॉकचैन फॉर रियल वर्ल्ड ऍप्लिकेशन्स’ का न्यूयॉर्क में विमोचन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुनिया में एक अरब से अधिक लोग ऐसे हैं जो जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं क्योंकि उनकी कोई आधिकारिक पहचान नहीं है। प्रत्येक पहचान-दस्तावेज केवल एक सीमित उद्देश्य की पूर्ति करता है। डिजिटल पहचान के साथ अन्य प्रकार की समस्याएं हैं। हर ऑनलाइन गतिविधि अपने पीछे उपयोगकर्ता के क्रिया-कलाप और व्यक्तिगत जानकारी का निशान छोड़ जाता है। नागरिकों की सारी जानकारी एक केंद्रीय डेटाबेस में रखने का सबसे बड़ा खतरा है – व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा का उल्लंघन। अगर आपका लॉग-इन पासवर्ड चोरी हो गया है तो आप उसे बदल सकते हैं, लेकिन अगर आपके फिंगरप्रिंट चोरी हो गए हैं तो आप अपनी उँगलियों को कैसे बदल पाएंगे? 

इन्हीं चिंताओं के चलते ऋषभ गर्ग ने 12 वर्ष की उम्र से ‘एक विश्व-एक पहचान’ पर काम करना शुरू किया। 2016 में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ऋषभ को CSIR इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित करते समय उनके विचार ‘एक विश्व-एक पहचान' को इंडिया विजन 2022 के अनुरूप तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया। ऋषभ ने इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्ट 2016 के दौरान इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ऋषभ को उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। वर्ष 2017 में श्री रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति सम्मान प्रदान किया गया। बिट्स पिलानी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान, ऋषभ ने एकल पहचान की सुरक्षा और व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता से संबंधित मुद्दों पर काम करना शुरू किया। इस अवधारणा पर आधारित उनकी पहली पुस्तक- 'सेल्फ सॉवरेन आइडेंटिटीज' जर्मनी, फ्रांस, रूस, इटली, स्पेन, पुर्तगाल और मोल्दोवा में प्रकाशित हुई। पहचान को पूरी तरह से सुरक्षित, निजी और स्व-संप्रभु बनाने के उद्देश्य से ऋषभ गर्ग ने एक वितरित बहीखाता प्रणाली का उपयोग किया, जिस पर क्रिप्टोकरेंसी संचालित होती है, और जिसे ब्लॉकचेन के रूप में जाना जाता है। 

पहचान को व्यक्तिगत और सार्वजनिक गतिविधियों का केन्द्रक मानकर, जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों और क्रिया-कलापों में उन्होंने लागत, समय और बिचौलियों को कम करने के लिए ब्लॉकचैन समर्थित विकेंद्रीकृत एप्लीकेशंस लागू करने का प्रयास किया है। इस तरह प्रस्तावित ‘एक विश्व-एक पहचान प्रणाली’ किसी देश की संप्रभुता के अधीन न रहकर स्वचालित, पारदर्शी, सुरक्षित, जवाबदेह, अपरिवर्तनीय और परीक्षित रूप से प्रत्येक नागरिक के जन्म से लेकर मृत्यु तक समस्त गतिविधियों का सञ्चालन और उसका पृथक-पृथक डाटाबेस में कूटलेखन कर संधारण करेगी। 

अलग-अलग डाटाबेस में जानकारी कूटलिपी में फैली होने के कारण कोई भी हैकर उसके तार जोड़कर जानकारी एकजाई नहीं कर सकेगा। इस पूरी प्रणाली को ऋषभ ने 416 पृष्ठों में वर्णित कर वास्तविक दुनिया के लिए ब्लॉकचैन के अनुप्रयोग नाम दिया है। प्रकाशक ने पुस्तक की पाठ्य-सामग्री का विन्यास बफ़ेलो विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क; स्टैनफोर्ड; कॉर्नेल; ऑक्सफोर्ड; कोलंबिया बिजनेस स्कूल तथा नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में प्रचलित पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए किया है ताकि पुस्तक प्रशासकों, प्रबंधकों, व्यवसायियों के अलावा विश्वविद्यालयीन छात्रों के पठन हेतु उपयोगी सिद्ध हो। 

पुस्तक का डिजिटल संस्करण 19 दिसंबर 2022 को जॉन विली एंड संस, अमेरिका द्वारा जारी किया गया है; मुद्रित-संस्करण का विमोचन 12 जनवरी 2023 को न्यूयॉर्क से किया जाएगा और यह पुस्तक अगले कुछ दिनों में दुनिया भर में उपलब्ध होगी। पुस्तक का प्राक्कथन मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व अपर मुख्य सचिव श्री इंद्रनील शंकर दाणी ने लिखा है। पुस्तक के अंशों का 51 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

Created On :   8 Jan 2023 10:28 PM IST

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