भारत के साथ ऊर्जा वार्ता में रोसनेफ्ट की अहम भूमिका
- ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग को व्यवस्थित रूप से विकसित करना जरूरी
डिजिटल डेस्क, मास्को/नई दिल्ली। रूस की ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट ऊर्जा संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह भारतीय भागीदारों के साथ मिलकर पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन से लेकर शोधन और बिक्री तक पूरी तकनीकी सीरीज के साथ सहयोग कर रहा है। रूस और भारत के बीच ऊर्जा संवाद का विकास और विस्तार दोनों देशों के राजनीतिक और व्यावसायिक वर्ग के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। रूस भारत का सबसे पुराना साझेदार है। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय बातचीत होती है।
दोनों देशों के प्रमुख वार्षिक बैठकें करते हैं और राजनीतिक मुद्दों से अलग भी बातचीत करते हैं। समय के साथ सैन्य और तकनीकी सहयोग और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में संपर्क स्थापित किए गए हैं। इस स्थिति में ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग को व्यवस्थित रूप से विकसित करना जरूरी है।
रूस में संयुक्त ऐसेट में वानकोर्नफ्ट, तास-युरीख नेफ्टेगाजोडोबाइचा और सखालिन-1 शामिल हैं। भारत में नायरा एनर्जी वाडिनार शहर में एक हाई-टेक रिफाइनरी संचालित करती है और भारत में स्टेशनों को भरने के सबसे तेजी से बढ़ते नेटवर्क में से एक है। रोसनेफ्ट द्वारा नायरा एनर्जी की इक्विटी के एक हिस्से के अधिग्रहण के बाद भारतीय कंपनी ने एक महत्वाकांक्षी रिफाइनरी विकास कार्यक्रम शुरू किया।
यह परिसंपत्ती कंपनी की सबसे सफल अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाएं हैं, जिसके कारण रोसनेफ्ट को दोनों देशों के बीच निवेश सहयोग में अग्रणी बनने की अनुमति मिली है। इसे समझाने के लिए मैं आकड़ों का सहारा ले रहा हूं, रोसनेफ्ट और भारतीय भागीदारों के साथ परियोजनाओं में पारस्परिक निवेश की मात्रा 17 अरब डॉलर से ज्यादा हो गई है। यह इस समय रूसी-भारतीय निवेश की कुल मात्रा से भी ज्यादा है।
यह समझना जरूरी है कि यह सीमा से बहुत दूर है। अभी तक रूस ऊर्जा क्षेत्र में भारत का मुख्य भागीदार नहीं है, हालांकि हमारे पास ऐसा करने के सभी अवसर हैं। उत्तरी समुद्री मार्ग की क्षमता और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा संक्रमण के संबंध में इसी तरह की स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्बन मुक्त ऊर्जा की दिशा में एक सहज, संतुलित कदम के पैरोकार हैं।
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा संसाधनों की मांग कर रही है, जिसके कारण देश के अधिकारियों ने रोसनेफ्ट की अनूठी कम कार्बन वाली वोस्तोक तेल परियोजना में रुचि दिखाई है जो कम सल्फर तेल का उत्पादन करती है। भारतीय हित अपस्ट्रीम परिसंपत्ति में साझेदारी के सामान्य पैटर्न से बहुत आगे तक फैला हुआ है।
भारत सुदूर पूर्व में ज्वेज्दा शिपयार्ड में वोस्तोक तेल के लिए जहाजों के निर्माण में भाग लेने की संभावना का भी आकलन कर रहा है। वास्तव में, ऊर्जा क्षेत्र में रूस और भारत के बीच व्यावहारिक सहयोग के लिए एक नए संस्थागत मंच की जरूरत है, जहां पार्टियां संयुक्त परियोजनाओं और इस क्षेत्र में निवेश में बढ़ोतरी के प्रस्तावों पर चर्चा कर सकें, जिससे विकास होने की संभावनाएं बढ़ जाए।
आईएएनएस
Created On :   13 Dec 2021 11:00 AM IST