सबसे बड़े कर्जदाता चीन ने कभी भी उधार पैटर्न पर डेटा प्रकाशित नहीं किया
नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। मौजूदा समय में दुनिया के सबसे बड़े कर्जदाता देश चीन ने पिछले दो दशकों में 150 से अधिक देशों को ऋण दिया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसने ऐसा बिना किसी बाधा या जरूरी औपचारिकताओं के किया है।
चीन पेरिस क्लब का सदस्य नहीं है जो ऋणदाता राष्ट्रों का एक अनौपचारिक समूह है जिसका उद्देश्य व्यावहारिक पुनर्भुगतान समाधान पेश करना है। यह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) का भी हिस्सा नहीं है। पेरिस क्लब और ओईसीडी, दोनों आधिकारिक देनदारों के ऋण रिकॉर्ड को बनाए रखते हैं।
चीन की वित्तीय सहायता को प्रत्यक्ष ऋण के अलावा ट्रेड क्रेडिट, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अग्रिम के रूप में निर्देशित किया जाता है। हालांकि यह कोई रहस्य नहीं है लेकिन जो बहुत चिंताजनक है, वह है इसके उधार पैटर्न और रिकॉर्ड रखने में पारदर्शिता की कमी।
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू (एचबीआर) के अनुसार, चीन के बकाया दावे अब वैश्विक जीडीपी के पांच प्रतिशत से अधिक हो चुके हैं। इसके साथ ही ड्रैगन द्वारा अपने स्थानीय अधिकारियों और उधारदाताओं के माध्यम से अनौपचारिक रूप से ऋण का एक बड़ा हिस्सा भी दिया गया है, जिसका व्यावहारिक रूप से कोई हिसाब-किताब नहीं है।
रिपोर्ट बताती है कि लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर दिया गया है लेकिन विश्लेषकों ने इस आंकड़े पर सवाल उठाया है क्योंकि चीन अन्य देशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की मात्रा पर चुप है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक विश्लेषक ने कहा, चीन के आधिकारिक आंकड़े सही तस्वीर पेश नहीं करते हैं और कोरोना वायरस युग जैसे संकटों के काल में आर्थिक स्थिति, ऋण और पुनर्भुगतान के बारे में स्पष्ट और पारदर्शी जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। चीन के साथ मामला ऐसा नहीं है।
कोरोना वायरस महामारी द्वारा चीन और दुनिया की वैश्विक अर्थव्यवस्था को गतिरोध में लाने से पहले चीन रेटिंग एजेंसियों की जांच से बचा हुआ था।
लेकिन, महामारी फैलने के साथ तस्वीर बदल गई। जून में विश्व बैंक ने अपने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल 5.2 प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे खराब स्थिति होगी।
चीनी ऋण लेने वाले कई देश ने कर्ज चुकाने में असमर्थता का संकेत दिया है। इसके बावजूद चीन नए गठबंधनों को बनाने के लिए नई सहायता प्रदान कर रहा है। नेपाल और बांग्लादेश इसकी मिसाल हैं।
एचबीआर ने रिपोर्ट में कहा है कि चीन अपने अंतरराष्ट्रीय उधार को रिपोर्ट नहीं करता है और चीनी ऋण हर तरह से पारंपरिक डेटा-एकत्रित करने वाले संस्थानों से बच जाते हैं। उदाहरण के लिए मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां या ब्लूमबर्ग जैसे डेटा प्रदाता, निजी कर्जदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। चूंकि चीन का कर्ज राज्य प्रायोजित है, इसलिए इनकी रडार स्क्रीन से बाहर है।
यह बिना हिसाब-किताब वाला कर्ज या जिसे एचबीआर ने छिपा हुआ ऋण कहा है, अब कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बन गया है।
(यह सामग्री इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत की गई)
एसएसए
Created On :   16 Aug 2020 10:00 PM IST