Amritsar News: खालसाई जाहो-जलाल के साथ निकलेगी गुरु शीश मार्ग यात्रा, मनाएंगे नौंवे पात्शाह का 350वां शहादत दिवस

खालसाई जाहो-जलाल के साथ निकलेगी गुरु शीश मार्ग यात्रा, मनाएंगे नौंवे पात्शाह का 350वां शहादत दिवस
  • 3, 4 और 5 अक्टूबर को सिख बड़ा आयोजन करने जा रहे हैं
  • गुरु शीश मार्ग यात्रा में याद किया जाएगा शहादत का दौर
  • नौंवे पात्शाह का 350वां शहादत दिवस

Amritsar News. दुनियाभर में धार्मिक आजादी के प्रतीक साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का शहीदी दिवस सिख शौर्य गाथाओं की गूंज में मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में नौवें पातशाह गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस को समर्पित गुरु शीश मार्ग यात्रा दिल्ली के गुरुद्वारा शीश गंज से आनंदपुर साहिब तक निकाली जाएगी। अकाल पुरख की फौज अमृतसर, केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा चंडीगढ़ और ज्ञान प्रकाश ट्रस्ट लुधियाना ने ऐतिहासिक यात्रा निकालने का निर्णय लिया है।


खास बात है कि यह यात्रा भाई जैता जी द्वारा तय किए गए उन मार्गों की याद दिलाएगी, जिनके माध्यम से गुरु तेग बहादुर जी का शीश दिल्ली के चांदनी चौक से आनंदपुर साहिब तक लाया गया था।


पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह, जसविंदर सिंह एडवोकेट, खुशपाल सिंह ने बताया कि यात्रा 3 अक्टूबर को दिल्ली के गुरुद्वारा शीश गंज साहिब से शुरू होकर 5 अक्टूबर को गुरुद्वारा शीश गंज आनंदपुर साहिब में संपन्न होगी। यह यात्रा प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों से होकर गुजरेगी, जिनमें बागपत (उत्तर प्रदेश), सोनीपत, करनाल से तारावड़ी, अंबाला, नाभा साहिब, जीरकपुर और कीरतपुर साहिब शामिल हैं।

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यात्रा उन शहीद सिखों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करेगी, जिन्होंने गुरु साहिब के जीवनकाल में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं

जैसे - भाई लखी शाह वंजारा, भाई नानू जी, भाई ऊदा जी, भाई अग्गा राम जी, भाई मती दास, भाई सती दास, भाई दियाला जी, भाई देवा राम और भाई राम देवा जी।

इन सभी ने कठिन परिस्थितियों और विपत्तियों के बीच अटूट निष्ठा और वीरता का परिचय दिया था। जुल्मों के सामने लेशमात्र नहीं झुके, खालसाई परचम लहराया, सिखी के सिद्धांतों पर अटूट श्रद्धा रखी। इसके अलावा देशभर में लगभग 350 सार्वजनिक स्थलों पर गुरु साहिब के जीवन और शहादत से संबंधित प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी।

आपको बतादें 17वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने हिंदुओं पर जबरन धर्म परिवर्तन थोपने का प्रयास किया था। कश्मीरी ब्राह्मणों ने इस अत्याचार से बचने के लिए गुरु तेग बहादुर जी से गुहार लगाई। गुरुजी ने न केवल उनका पक्ष लिया बल्कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए दिल्ली की यात्रा की।

24 नवंबर 1675 को चांदनी चौक (दिल्ली) में गुरुजी को शहीद कर दिया गया। उनकी शहादत यह संदेश देती है कि धर्म, आस्था और मानवता की रक्षा सर्वोपरी है.

Created On :   20 Aug 2025 9:21 PM IST

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