आरटीई के नियमों के तहत दाखिले से वंचित हुआ बच्चा

आरटीई के नियमों के तहत दाखिले से वंचित हुआ बच्चा
दाखिला नहीं लेने पर भी पोर्टल पर नाम बरकरार, अधिकारियों ने झाड़ा मामले से पल्ला।

डिजिटल डेस्क, दुष्यंत मिश्र, मुंबई। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत दाखिले के लिए चुने गए बच्चों में मुंबई के दादर इलाके में रहने वाले अमित जाधव के बेटे नील का नाम आया, तो वह बेहद खुश थे। आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे जाधव को उम्मीद थी कि अब उनका बेटा अच्छे स्कूल में पढ़ सकेगा। उन्होंने दाखिले की प्रक्रिया शुरु की, लेकिन जल्द ही उनकी खुशी परेशानी में बदल गई। दो साल पहले आरटीई के तहत दाखिला नहीं लेने के बावजूद उसका नाम आरटीई की लाभान्वितों में मौजूद था।

लगा रहे शिक्षा विभाग के चक्कर

दरअसल, उन्होंने 2020-21 में प्री-प्राइमरी में दाखिले के लिए आवेदन किया था और बेटे का नाम भी ज्ञानेश्वर स्कूल में आ गया था। लेकिन स्कूल वडाला में होने के कारण उन्होंने दाखिला नहीं लिया। अब जब नाम आने के बाद उन्होंने पहली कक्षा में दाखिले की प्रक्रिया शुरु की, तो पता चला कि दाखिला न लेने के बावजूद उनके बेटे का नाम आरटीई पोर्टल पर है। परेशान जाधव शिक्षा विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें बताया जा रहा है कि एक बार बच्चे का नाम सूची में आने के बाद उसे हटाने की कोई प्रक्रिया नहीं है। निराश जाधव ने कहा कि मैं मजदूरी करके गुजर बसर करता हूं। महीने में मुश्किल से 12-13 हजार रुपए कमा पाता हूं। घर के आस-पास के अच्छे स्कूलों में महीने की फीस ही कम से कम पांच हजार रुपए है। दूसरे खर्चे अलग हैं। इन हालातों में अब बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाने का मेरा सपना पूरा नहीं हो पाएगा।

‘दूसरे गरीब बच्चे को क्यों नहीं दिया दाखिला’

महाराष्ट्र राज्य विद्यार्थी पालक शिक्षक महासंघ के नितीन दलवी ने कहा कि स्कूलों और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा गरीब विद्यार्थी भुगत रहे हैं। अगर विद्यार्थी दाखिला नहीं ले रहा है, तो स्कूल प्रबंधन को इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को देनी चाहिए। विद्यार्थी ने दाखिला नहीं लिया और उसका नाम अब भी पोर्टल पर है, तो इसका मतलब यह है कि दूसरे विद्यार्थी को भी उस जगह दाखिला नहीं दिया गया। इस तरह एक गरीब बच्चे का अधिकार छीना गया है। इससे स्कूलों को फायदा होता है। वे दिखाते हैं कि आरटीई के तहत 25 फीसदी कोटा पूरा हो गया, जबकि हकीकत में सीटें खाली रहतीं हैं। इस पूरे मामले से यह भी साफ होता है कि शिक्षा विभाग इस बात की जांच की नहीं करता कि आरटीई में नाम आने के बाद विद्यार्थी का दाखिला कराया गया या नहीं।





एक बार से ज्यादा नहीं दिया जा सकता लाभ

मामले में शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आरटीई पोर्टल पर नाम आने के बाद उसे हटाया नहीं जा सकता। ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे कोई एक से ज्यादा बार सरकारी योजना का लाभ न ले पाए। पहले जिस स्कूल में नाम आया था, उसे सूची में बच्चे के अभिभावक ने ही शामिल किया होगा। यह उनकी ही जिम्मेदारी है।

क्या है आरटीई

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों दाखिला दिया जाता है। ऑनलाइन आवेदन के बाद लॉटरी के जरिए चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाती है। बच्चों की फीस सरकार देती है।

Created On :   5 May 2023 9:56 PM IST

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