Pune News: करोड़ों की निधि मंजूर होने बावजूद इंदापुर की दुर्दशा

भास्कर न्यूज, इंदापुर। इंदापुर नगर परिषद क्षेत्र में पिछले आठ वर्षों में करोड़ों रुपए का विकास फंड मंजूर होने के बावजूद शहर की दुर्दशा हो गई है। नागरिक सड़कों की ख़राब हालत, नालियों का काम, भूमिगत बिजली लाइन, शौचालयों की दुर्दशा, उजनी झील के दूषित पानी, शहर में भारी अतिक्रमण, अवैध होर्डिंग्स, गृह कर पर ब्याज और जुर्माना, शहर में गन्ने की भारी वाहनों की आवाजाही, अनाधिकृत निर्माण, घटिया विकास कार्यों और बंद पड़ी आवास योजना जैसी अनगिनत समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन समस्याओं से जूझ रहे इंदापुर के नागरिक अब आक्रामक हो गए हैं।
2017 से 2022 की अवधि में कांग्रेस की अंकिता शाह इंदापुर नगर परिषद की नगराध्यक्ष थीं। उनके कार्यकाल में शहर का स्वच्छता अभियान काफी चर्चित रहा और उन्होंने इंदापुर नगर परिषद का नाम राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया। 'आपलं इंदापुर' (हमारा इंदापूर) का नारा देते हुए, उन्होंने शहर में कई विकासात्मक कार्य किए और नगर परिषद में अपने काम की छाप छोड़ी।
लेकिन नागरिकों की दैनिक समस्याओं जैसे बिजली, पानी, सड़क विकास जैसी कई समस्याओं की उपेक्षा हुई, जिसका खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ा। सरकार ने शहर के विकास के लिए बड़ी मात्रा में फंड दिया, लेकिन इसका उपयोग सही कारणों के लिए नहीं हुआ। नतीजतन, आज भी नागरिकों को गड्ढों वाली सड़कों से जूझना पड़ रहा है और दुर्घटनाओं जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
राज्यमंत्री बनने के बाद भी अधूरी परियोजनाएं
2022 में इंदापुर नगर परिषद में प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति हुई और नगर परिषद का शासन प्रशासन के हाथों में आ गया।
2023 इसी दौरान, इंदापुर तहसील के जनप्रतिनिधि दत्तात्रय भरणे राज्यमंत्री बने। भरणे ने इंदापुर शहर का कायाकल्प करने के लिए करोड़ों रुपए का विकास फंड दिया। उन्होंने वार्ड की आंतरिक सड़कों, शहर की सड़कों और चौराहों का सौंदर्यीकरण, भूमिगत बिजली लाइन का काम और प्रधानमंत्री आवास योजना का काम शुरू करवाकर शहर के विकास को बड़ी गति दी। लेकिन, कुछ समय बाद फंड की कमी के कारण आवास योजना का काम रुक गया और बंद हो गया।
छत्रपति मालोजीराजे चौक के सौंदर्यीकरण का काम फ्लाईओवर के कारण उखड़ गया और उसकी सुंदरता नष्ट हो गई। महात्मा फुले चौक के पास सौंदर्यीकरण का काम भी फ्लाईओवर के काम के कारण अब मिट्टी और घास के ढेर में धूल फांक रहा है।
शहर के वार्डों की आंतरिक सड़कें पहली ही बरसात में कई जगहों पर बह गईं, जिससे सरकार के करोड़ों रुपए का फंड पानी में बह गया। आम नागरिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, जिससे उनमें नाराजगी है।
जीतने के पांच साल बाद ही मतदाताओं के द्वार आते हैं नगरसेवक
नागरिकों ने बताया कि कुछ साल पहले इंद्रेश्वर मंदिर के पास नाले में अनाधिकृत रूप से लगाई गई एक झोपड़ी बारिश के कारण बहकर अटक गई थी। इससे बारिश का पानी जमा हो गया और ठाकर गली इलाके के कई घरों में घुस गया। उस समय, कोई भी नगरसेवक पूछताछ या निरीक्षण के लिए किसी के घर नहीं आया था।
समझ नहीं आता कि नगरसेवकों का काम क्या है। वे महाबलेश्वर में झरने देखने जाने की तरह, केवल पानी के बहाव को देखकर वापस चले जाते हैं। आज, वे एक बार फिर मतदाताओं के द्वार पर आने वाले हैं। ऐसे नगरसेवकों को चुनें जो आम लोगों के साथ घुलमिल कर रहे और उनकी समस्याओं को समझे।
- हसन शेख, नागरिक
Created On :   12 Nov 2025 4:25 PM IST












