- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- आदिवासी की भूमि विक्रय का लिखित...
Jabalpur News: आदिवासी की भूमि विक्रय का लिखित अनुबंध कर की जालसाजी, हड़प लिए 15 लाख रुपए

Jabalpur News: प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अरुण कुमार गोयल की अदालत ने आदिवासी की भूमि विक्रय का लिखित अनुबंध कर कूटरचित तरीके से 15 लाख रुपए हड़पने के मामले में अनावेदकों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने अनावेदकों को इस मामले में 26 दिसंबर को कोर्ट के समक्ष हाजिर होने के निर्देश भी दिए हैं।
तिलहरी निवासी आकर्ष जायसवाल की ओर से अधिवक्ता विशाल डेनियल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि गोरखपुर निवासी सुनील जैन, रतन नगर, मदन महल निवासी राकेश जैन (अब मृत) व उनके पुत्र अमन जैन ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर परिवादी के साथ छल किया है। आदिवासियों की जमीन विक्रय करने का लिखित अनुबंध करते हुए अनावेदकों ने मध्यस्थ के रूप में विक्रय अनुमति दिलाने का भरोसा दिलाया था। यही नहीं बाद में कूटरचित अनुमति दिखा दी गई, साथ ही 15 लाख रुपये विभिन्न माध्यमों से हासिल कर लिए, जबकि कलेक्टर की ओर से वैसा आदेश कभी जारी ही नहीं किया गया।
जब छले जाने का अंदेशा हुआ तो पुलिस में शिकायत की गई लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई, इसीलिए परिवाद दायर कर एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की गई। यह दलील भी दी गई कि अनावेदकों ने खुद 15 लाख हड़पे और आदिवासी सामने खड़ा कर उसे भी 11 हजार दिलवा दिए। परिवाद पत्र के साथ संलग्न अनुबंध पत्र में साफ है कि उक्त अनुबंध के पृष्ठ भाग पर 25 नवंबर, 2020 को 10 लाख रुपये नकद प्राप्ति की अभिस्वीकृति राकेश जैन व अमन जैन द्वारा दी गई है।
वेतनवृद्धि का लाभ देने पर 60 दिन में लो निर्णय
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक जबलपुर के सीईओ को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता कर्मी को वेतनवृद्धि का लाभ देने पर निर्णय लें। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने इसके लिए 60 दिन की मोहलत दी है। जबलपुर निवासी जागेश्वर प्रसाद अवस्थी की ओर से अधिवक्ता सुघोष भमोरे व निशांत मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता प्रभारी ब्रांच प्रबंधक के पद पर पदस्थ है।
याचिकाकर्ता की वेतनवृद्धि लंबित है। याचिकाकर्ता ने बैंक प्रबंधन को कई बार अभ्यावेदन दिया, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया, इसलिए याचिका दायर की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अभ्यावेदन के निराकरण के बाद यदि याचिकाकर्ता उक्त लाभ के योग्य पाया जाता है तो उसे अगले 30 दिन के भीतर भुगतान करें, ताकि उसे पुन: अदालत की शरण नहीं लेनी पड़े।
Created On :   2 Dec 2025 6:28 PM IST












