उत्तराखंड केस: शहर के युवा इंजीनियर ने भी टनल के अंदर घुसकर दिखाया अपना हुनर, बची मजदूरों की जान

अंधेरी व संकीर्ण सुरंग में जाकर चलाई लेजर मशीन, साझा किए अपने अनुभव, कहा- कभी नहीं भूलेगा वह वाकया

डिजिटल डेस्क जबलपुर। उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड) की टनल में फँसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने में शहर के एक युवा इंजीनियर ने भी अपना योगदान दिया। हम बात कर रहे हैं कचनार सिटी, विजय नगर निवासी युवा इंजीनियर सिद्धांत पॉल की, जिन्होंने अपनी टीम के साथ टनल में आधा-आधा घंटे तक लेटकर लेजर मशीन चलाई। सिद्धांत और उनकी टीम के प्रयास से टनल के अंदर फँसे मजदूर सकुशल बाहर निकल सके। ग्रेटर नोयडा में निवासरत सिद्धांत ने गुरुवार को दैनिक भास्कर टीम के साथ अपने अनुभव साझा किए। आसपास के लोगों को सिद्धांत के इस जज्बे भरे कार्य की जानकारी लगी, तो उन्होंने उनके घर पहुँचकर कृतज्ञता जाहिर की।

पीएमओ से कॉल आते ही पहुँचे उत्तरकाशी -

सिद्धांत इस समय अपनी पत्नी और 4 वर्षीय बेटी के साथ ग्रेटर नोयडा में हैं। उनके पिता 67 वर्षीय समीर बरन पॉल मध्य प्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन से रिटायर्ड हैं और अपनी पत्नी 55 वर्षीय शर्मिला पॉल के साथ कचनार सिटी में रह रहे हैं। पिता ने जब उनसे फोन पर बात कराई तो उन्होंने उत्साह से अपने अनुभव साझा किए। सिद्धांत ने बताया कि उत्तरकाशी में बन रही टनल में फँसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अमेरिका से ऑगर मशीन बुलाई गई थी। जब यह भी खराब हो गई, तब 25 नवम्बर को ऑफिस में पीएमओ ऑफिस से कॉल आया और यहाँ से इंजीनियरों को भेजने के लिए कहा गया। इस पर सिद्धांत पॉल 24 घंटे का सफर तय करके अपने कुछ साथियों सहित वहाँ पहुँचे और लेजर मशीन की मदद से ऑगर मशीन को काटकर वहाँ से अलग कराया।

आधे घंटे तक लेटकर चलाते थे मशीन -

सिद्धांत ने बताया कि उत्तरकाशी की टनल में जब वे अपनी टीम सहित वहाँ पहुँचे, तो देखा कि अंदर जाने का रास्ता बेहद संकीर्ण था वहाँ सिर्फ लेटकर ही मशीन चलाई जा सकती थी। चंडीगढ़ तथा पुणे से आए इंजीनियरों के साथ वे भी आधा-आधा घंटे तक टनल में लेटकर लेजर मशीन चलाया करते थे। उनके इसी परिश्रम का यह नतीजा रहा कि ऑगर मशीन यहाँ से अलग कराई जा सकी और कार्य पूरा होने पर सिद्धांत 29 नवम्बर की सुबह पुन: ग्रेटर नोयडा वापस आ गए।

शहर में ही पले-बढ़े हैं सिद्धांत-

माँ शर्मिला पॉल ने बताया कि उनके बड़े बेटे 32 वर्षीय सिद्धांत पॉल ने वर्ष 2013 तक इंजीनियरिंग (इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन) की शिक्षा शहर में ही ली है। इसके बाद वे मुंबई िस्थत एक कंपनी में जॉब करने लगे। इस समय वे आईपीजी फोटोजेनिक लेजर इंडिया प्रा.लि. में सीनियर लेजर सर्विस इंजीनियर पद पर सेवाएँ दे रहे हैं। वे समय-समय पर अवकाश लेकर माता-पिता के पास शहर आते हैं। उनके छोटे भाई सुशांत कनाडा में कार्यरत हैं।

बंग समाज ने जताया गर्व -

मजदूरों को बचाने में सिद्धांत द्वारा दी गईं सेवाओं को देखते हुए बंग समाज जबलपुर के पदाधिकारियों ने उनके घर पहुँचकर माता-पिता से मुलाकात की। समाज की अध्यक्ष मुक्ता रॉय, सचिव सुजीत बैनर्जी एवं आलोक बोस आदि ने इस देशसेवा पर सिद्धांत के प्रति साधुवाद भी व्यक्त किया।

Created On :   30 Nov 2023 11:08 PM IST

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