- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- पुणे के ससून अस्पताल में एक साल में...
आरटीआई से खुलासा: पुणे के ससून अस्पताल में एक साल में हुई 8,875 मौत, हर घंटे एक मरीज तोड़ रहा दम
- मौतों की एसआईटी जांच की मांग
- ससून अस्पताल में एक साल में हुई 8,875 मौत
डिजिटल डेस्क, मुंबई. पुणे पोर्श कार हिट एंड रन मामले में नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल बदलनेवाले ससून अस्पताल को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इसी खुलासे के बीच ससून अस्पताल में वर्षभर में 8,875 लोगों की मौत होने की जानकारी सामने आई है। इस आंकड़े के अनुसार हर घंटे अस्पताल में एक मरीज दम तोड़ रहा है। सूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत संतोष घोलप को मिली जानकारी से यह आंकड़ा सामने आया है। इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता घोलप ने इन प्रकरणों की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की है। उनका आरोप है कि जिन मामलों में पोस्टमार्टम की आवश्यकता थी, वे सभी पोस्टमार्टम एक ही डॉक्टर की अगुवाई में हुए हैं। इस डॉक्टर का नाम हाल में पुणे के एक चर्चित मामले में भी सामने आया है।
कार हादसे के मामले में ससून अस्पताल के डॉक्टरों की भूमिका पर कार्रवाई हो गई है। दो आरोपी डॉक्टर गिरफ्तार हैं, जिनमें से एक फोरेंसिक विभाग के प्रमुख हैं। आरोप है कि उन्हीं की देखरेख में एक साल में ये पोस्टमार्टम हुए हैं। घोलप ने आरोप लगाया है कि संबंधित डॉक्टर का नाम किडनी कांड में भी सामने आया था।
रोजाना 25 मरीजों की जान जा रही
आरटीआई कार्यकर्ता संतोष घोलप को स्वास्थ्य विभाग ने जनवरी से दिसंबर 2023 में ससून अस्पताल में 8,875 लोगों की मौत की जानकारी दी है। घोलप ने स्वास्थ्य विभाग से सरकारी अस्पतालों में उपचार के दरम्यान हुई मौतों की जानकारी मांगी थी, जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने सालभर में ससून अस्पताल में हुई मरीजों की मौत की जानकारी दी। घोलप का कहना है कि इस संख्या को देखें तो तो रोजाना इस अस्पताल में 25 लोगों की मौत हो रही है यानि हर घंटे एक मरीज की मौत, जो चिंताजनक है।
दबाई गई होंगी शिकायतें
घोलप ने बताया कि पोर्श हादसे में अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को भी सख्ती की छुट्टी पर भेज दिया है। उन पर यह कार्रवाई इस मामले में लापरवाही बरतने और संबंधित डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई न करने पर की गई है। हालांकि खून बदलने के मामले की जांच करनेवाली डॉक्टरों की टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में डीन डॉ. विनायक काले पर डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई न करने की बात कही है। घोलप ने आशंका व्यक्त की है कि ससून अस्पताल में वर्षभर में हुई अधिकांश मौत के मामलों में भी लापरवाही की शिकायत परिजनों द्वारा की गई होगी, जिसे नजरअंदाज किए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता।
तथ्यहीन आरोप
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने घोलप के आरोप को तथ्यहीन बताया है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल में कई मरीज दूसरे अस्पतालों से रेफर किए हुए आते हैं। ये मरीज उस समय पहुंचते हैं जब उनकी हालत काफी गंभीर होती है। अस्पताल में आनेवाले मरीजों को इलाज के लिए नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि वर्षभर में अस्पताल में होनेवाली मौतों की संख्या के बजाए वास्तविक मृत्यु दर भी देखनी चाहिए।
Created On :   31 May 2024 10:15 PM IST