भास्कर इम्पैक्ट - अब सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की जांच के लिए इस्तेमाल होगी न्यूक्लिक एसिड टेस्ट की तकनीक

भास्कर इम्पैक्ट - अब सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की जांच के लिए इस्तेमाल होगी न्यूक्लिक एसिड टेस्ट की तकनीक
रक्त के जरिए एचआईवी होने के मामले बढ़ने की खबर दैनिक भास्कर ने बुधवार 10 मई को ' जान बचानेवाला खून ही दे रहा मरीजों को एचआईवी वायरस' शीर्षक के तहत खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में इन मामलों के बढ़ने की पीछे की वजह भी भास्कर ने उजागर की थी।

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। रक्त के जरिए एचआईवी होने के मामले प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं। इन बढ़ते मामलों के पीछे रक्तदान में एकत्रित किए गए रक्त की जांच में कमी होने की बात उजागर हुई थी। अब इसकी रोकथाम के लिए राज्य रक्त संक्रमण परिषद (एसबीटीसी) ने सरकारी ब्लड बैंकों में भी एकत्रित किए गए रक्त की जांच न्यूक्लिक एसिड टेस्ट के जरिए करने की तैयारी की है। इस टेस्ट के लिए निधि उपलब्ध मुहैया कराने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।

रक्त बैंकों की जांच के लिए तीन तकनीक

एफडीए के नियमों के तहत ब्लड बैंकों में संकलित रक्त बैंकों की जांच एलाइजा, न्यूक्लिक एसिड टेस्ट और कैनिलुमिनम तकनीक के मार्फत की जा सकती है, जिससे रक्त संक्रमित होने का पता चल सकता है।

कुछ बड़े निजी ब्लड बैंको को छोड़कर सरकारी सहित अन्य निजी ब्लड बैंकों में एलाइजा तकनीक के जरिए ब्लड की टेस्टिंग की जाती है, जो काफी सस्ती होती है। इस तकनीक से एचआईवी की जांच का विंडो पीरियड तीन से छह महीने होता है। यदि तीन महीने पहले किसी डोनर को एचआईवी हुआ होगा, तो उसका पता यह तकनीक नहीं लगा सकती। यह ब्लड जिसे दिया जाता है, उसमें एचआईवी का खतरा बढ़ जाता है।

7 दिन में पता लगाती एचआईवी का

न्यूक्लिक एसिड टेस्ट तकनीक 7 दिन के विंडो पीरियड में एचआईवी का पता लगा लेती है। उक्त टेस्ट महंगा होने के कारण सरकारी ब्लड बैंकों में एकत्रित रक्त की जांच करने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। इन्हीं कमियों को भास्कर ने बुधवार को अपनी खबर में उजागर किया था। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद एसबीटीसी ने इन कमियों को दूर करने की तैयारी की है।

डॉ. महेंद्र केंद्रे, संयुक्त संचालक-एसबीटीसी के मुताबिक अब सरकारी ब्लड बैंकों में भी एकत्रित ब्लड की जांच न्यूक्लिक एसिड टेस्ट के जरिए किए जाने की तैयारी की जा रही है। इस टेस्ट का भार गरीब मरीजों पर न पड़े, इसके लिए सरकार से निधि की मांग की गई है। निधि उपलब्ध होते ही यह तकनीक इस्तेमाल की जाएगी।


Created On :   15 May 2023 5:38 PM IST

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