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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बच्चे को सीडब्ल्यूसी को सरेंडर करने वाली मां के दावे को किया खारिज
- मां की ओर से बायोलॉजिकल पिता को बच्चा नहीं सौंपा की थी मांग
- सीडब्ल्यूसी के बायोलॉजिकल पिता को बच्चे सौंपने के मामला
- नाबालिग मां ने बच्चे को दिया था जन्म
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को सरेंडर करने वाली मां के दावे के खारिज कर दिया। दो साल के बच्चे की मां की ओर से वकील फ्लाविया एग्नेस ने इंटरवेंशन याचिका दायर कर बच्चे को बायोलॉजिकल पिता को सौंपने का विरोध किया। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को बच्चे के बायोलॉजिकल पिता राममूर्ति गाडिवदार की ओर से वकील आशीष दुबे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। बच्चे की मां की ओर से वकील एग्नेस दलील दी कि याचिकाकर्ता (बायोलॉजिकल पिता) की मां ने नाबालिग से दुराचार और यौन उत्पीड़न के लिए उकसाया था। उसे बच्चे को सौंपने से पीड़िता के वैवाहिक जीनव में खलल पड़ेगा। बच्चे को सीडब्ल्यूसी को ही सौंपा जाना चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि बच्चे के हित को ध्यान में रखते हुए उसे बायोलॉजिकल पिता को सौंपा गया है। इसमें बदलाव नहीं हो सकता है। अब हम इस पर फैसला सुनाएंगे।
साकीनाका के संघर्ष नगर में रहने वाले 20 वर्षीय राममूर्ति गाडिवदार का 17 साल की नाबालिग से प्रेम संबंध था। वे 1 अक्टूबर 2021 को मुंबई से कर्नाटक चले गए और वहां हिंदू रीति से शादी कर लिया। नाबालिग ने एक बच्चे को जन्म दिया। नाबालिग के परिजनों ने साकीनाका पुलिस स्टेशन में उसके अपहरण का मामला दर्ज करवाया था। पुलिस के दबाव में नाबालिग पत्नी के 18 वर्ष की होने के बाद पुलिस के समक्ष सरेंडर किया। पुलिस ने युवक को 1 फरवरी को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसकी पत्नी को उसके माता-पिता के हवाले कर दिया था और बच्चे को सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया था।Bombay High Court Rejects Mother's Claim Of Surrendering Child To CWC
अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बांबे हाईकोर्ट में दायर है याचिका लेंगे वापस
वहीं बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का उनकी पूर्व पत्नी आलिया के बीच उनके दो बच्चों को लेकर विवाद पर समझौता हो गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट में नवाजुद्दीन ने हैबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर किया था, जो अभी विचाराधीन है। याचिका में अदालत से अपने दोनों बच्चों की कस्टडी पाने के लिए गुहार लगाई गई है। अदालत ने नवाजुद्दीन को याचिका वापस लेने के लिए शुक्रवार तक समय दिया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ओर से दायर हैबियस कार्पस याचिका सुनवाई के लिए आई। नवाजुद्दीन की ओर से वकील देवेंद्र तिवारी अदालत के समक्ष पेश हुए। न्यायमूर्ति ढेरे ने कहा कि जब याचिका से जुड़े विवाद को लेकर समझौता हो गया है, तो याचिकाकर्ता को याचिका वापस ले लेना चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि वह उन्हें (नवाजुद्दीन) याचिका वापस लेने के लिए शुक्रवार तक का समय देते हैं। यदि उन्होंने याचिका वापस नहीं लिया, तो खंडपीठ उस पर अपना फैसला सुनाएगा।
अभिनेता की उनकी पूर्व पत्नी आलिया को साथ विवाद चल रहा था। नवाजुद्दीन ने अपने बच्चों की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में हैबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर किया था। याचिका में दावा किया था कि उनकी पूर्व पत्नी आलिया उनके दोनों बच्चों को मिलने नहीं दे रही है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को कानूनी भाषा में हैबियस कॉपर्स कहा जाता है. इसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई के लिए किया जाता है, जिसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया हो या अपहरण के दायरे में आता हो.
Created On :   22 Aug 2023 5:04 PM IST