समुद्र में बनने वाले कोस्टल रोड के पिलर की दूरी अब 60 मीटर से बढ़ कर होगी 120 मीटर

समुद्र में बनने वाले कोस्टल रोड के पिलर की दूरी अब 60 मीटर से बढ़ कर होगी 120 मीटर
  • पिलर की दूरी अब 60 मीटर से बढ़ कर होगी 120 मीटर
  • मछुआरों को राहत
  • पिलर की कम दूरी से नावों के टकराने की थी आशंका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सबसे महत्पूर्ण कोस्टल रोड के पिलर (खंभों) की दूरी अब 60 मीटर से बढ़ कर 120 मीटर की जाएगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि हमने मछुआरों की समस्याओं को गंभीरता से लिया है। उन्होंने समुद्र में बनने वाले कोस्टल रोड के पिलर की दूरी को बढ़ा कर 120 मीटर करने की घोषणा की। तत्कालीन महाविकास आघाडी सरकार कोस्टल रोड के पिलर की दूरी 60 मीटर करने पर अड़ी हुई थी। इससे प्रभावित मछुआरों ने आंदोलन शुरु कर दिया था। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि इस निर्णय से प्रोजेक्ट में थोड़ा विलंब जरूर होगा, लेकिन मछुआरों की समस्याओं का निराकरण करना भी जरुरी था।

दो पिलर के बीच कितनी दूरी रखना पर्याप्त होगा, इस बारे में मनपा ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी को जांच कर रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी दी थी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी ने पिलर की दूरी 60 मीटर रखने को पर्याप्त बताया था। इस रिपोर्ट को लेकर मछुआरों और मनपा के बीच विवाद पैदा हो गया था। मछुआरों की मांग थी कि पिलर की दूरी 200 मीटर रखी जानी चाहिए। मछुआरों का कहना था कि इन पिलर के बीच दो नाव एक साथ आने-जाने से खंभों से टकराकर दुर्घटना होने आशंका बनी रहेगी। स्थानीय मछुआरे लगातार आंदोलन कर कोस्टल रोड निर्माण का विरोध करते रहे हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पडेगा।

मछुआरों ने जताया था विरोध

जुलाई 2017 में कोस्टल रोड परियोजना के लिए राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) ने अध्ययन रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें "समुद्री लहरें, अधिकतम जल स्तर, तूफानी लहरें, सुनामी लहर, ऊंचाई और समुद्र के जलस्तर में हो रहे परिवर्तन’ पर फोकस किया गया था।

वर्ली में मछुआरों ने सी ब्रिज कनेक्टर के दो पिलर (नेविगेशन स्पैन) के बीच की दूरी को मौजूदा 60 मीटर से बढ़ाकर 200 मीटर करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि प्रस्तावित 60 मीटर उनके व्यवसाय को प्रभावित करेगा और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। उन्होंने विरोध जताने के लिए अपनी नावों को भी समुद्र में ले लिया था, जिससे चल रहा काम रुक गया था। मछुआरों ने अपनी बात साबित करने के लिए रत्नागिरी के गोगेट-जोगलेकर कॉलेज के भूगोल विभाग के प्रमुख डॉक्टर सुरेंद्र ठाकुर देसाई की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया था, जिसके अनुसार पिलर के बीच न्यूनतम दूरी 160 मीटर होनी चाहिए।

ठाकुर देसाई की रिपोर्ट को दुबारा एनआईओ के पास भेजा गया। एनआईओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. जयकुमार सिलम ने अपनी रिपोर्ट में पिलर के बीच की दूरी का 60 मीटर पर्याप्त बताया था।

बीएमसी कमिश्नर ने दी मंजूरी

बाद में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) से मछुआरों को मुआवजा तय करने के साथ पिलर की दूरी पर भी रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया था। टिस ने अपनी रिपोर्ट में पिलर की दूरी बढ़ा कर 120 मीटर करने को पर्याप्त बताया है। इस पर मुख्यमंत्री ने मुहर लगा दी है। मछुआरे भी मुख्यमंत्री की बात से सहमत हैं। बीएमसी कमिश्नर ने भी पिलर की दूरी बढ़ाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है, हालांकि इससे कोस्टल रोड के काम में कुछ महीने की देरी होगी। कोस्टल रोड का काम जनवरी 2023 में पूरा किया जाना था, जिसे अब नवंबर 2023 तक पूरा किया जा सकता है।

Created On :   31 May 2023 9:32 PM IST

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