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जरूरत से ज्यादा सख्त न हो मुआवजा देने का तरीका
- रेल दुर्घटना से संबंधित मामलों पर हाई कोर्ट की राय
- जरूरत से ज्यादा सख्त न हो मुआवजा देने का तरीका
डिजिटल डेस्क, नागपुर. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे देश में करोड़ों लोग रेल से सफर करते हैं। हर कोई विमान या निजी कार से यात्रा नहीं कर सकता। ऐसे में ट्रेन से गिरकर दुर्घटनाग्रस्त होने वाले यात्रियों या उनके परिवार को मुआवजा देने का तरीका जरूरत से ज्यादा सख्त हुआ, तो न जाने कितने पीड़ित मुआवजे से वंचित रह जाएंगे। इस निरीक्षण के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने मृत रेल यात्री एस. के. हाफीज के परिवार को 8 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश सीएसटी रेलवे महाप्रबंधक को दिया है।
रेलवे ने कर दिया था खारिज : पीड़ित 6 दिसंबर 2014 को अकोला से मूर्तिजापुर के लिए प्रेरणा एक्सप्रेस से यात्रा कर रहा था। ट्रेन में भीड़ होने के कारण वह बोगी के द्वार के पास खड़ा था। ट्रेन में अचानक झटका लगने और संतुलन बिगड़ने से हाफीज ट्रेन से बाहर गिर पड़ा। हादसे में उसकी मृत्यु हो गई। मृतक के परिवार ने मुआवजे के लिए रेलवे से गुहार लगाई, तो उनका दावा इस दलील के साथ खारिज किया गया कि यात्री की खुद की लापरवाही से उसकी जान गई है, इसलिए रेलवे मुआवजा नहीं देगा। उसके बाद पीड़ित परिवार ने हाई कोर्ट की शरण ली थी।
Created On :   10 July 2023 5:30 PM IST