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जज्बा : बनना चाहती थीं आईएस अधिकारी, बन गईं गईं विधायक
- 28 साल की उम्र में अंबा प्रसाद ने चुनाव जीत कर बनाया था रिकॉर्ड
- यूपीएससी की प्री-परीक्षा कर ली थी पास
- जब पिता, मां और भाई भी चले गए थे जेल
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सोमदत्त शर्मा। साल 2019 में अंबा प्रसाद ने सबसे कम उम्र (28 वर्ष) में झारखंड की विधायक बनकर एक रिकॉर्ड बनाया था। अंबा प्रसाद से पहले उनके पिता योगेंद्र साव और उनकी मां निर्मल देवी भी विधायक रह चुके हैं। लेकिन अंबा प्रसाद के विधायक बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, अंबा प्रसाद आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं, लेकिन हालातों ने उन्हें विधायक बना दिया। मुंबई दौरे पर पहुंची अंबा प्रसाद ने अपने विधायक बनने की कहानी ‘दैनिक भास्कर' के साथ साझा की।
यूपीएससी की प्री-परीक्षा कर ली थी पास
अंबा प्रसाद ने बताया कि उनके पिता योगेंद्र साव ने साल 2009 में झारखंड के बड़कागांव विधानसभा सीट से पहला चुनाव जीता था। उसके बाद साल 2013 में हेमंत सोरेन की सरकार में उन्हें मंत्री बना दिया गया। लेकिन 2014 में माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया। जिस समय योगेंद्र जेल गए, उस समय अंबा प्रसाद दिल्ली में राजनीति से हटकर आईएएस की तैयारी कर रहीं थीं। अंबा प्रसाद पढ़ाई में इतनी मेहनती थीं कि उन्होंने साल 2015 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्री-परीक्षा भी पास कर ली और फाइनल परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत कर रही थीं। पिता के जेल जाने की खबर भी अंबा प्रसाद की हिम्मत नहीं तोड़ सकी और वह मेहनत करती रहीं।
जब पिता, मां और भाई भी चले गए थे जेल
साल 2014 के विधानसभा चुनाव में अंबा के पिता ने चुनाव से खुद हटकर अपनी पत्नी निर्मल देवी को चुनाव मैदान में उतार दिया। और वह चुनाव जीत भी गईं। लेकिन इसी बीच, राज्य में बनी नई सरकार ने निर्मल देवी पर दर्ज हुए मामलों में उन्हें भी जेल भेज दिया। इसके कुछ दिनों बाद ही अंबा प्रसाद के भाई को भी एक मामले में जेल भेज दिया गया। मां-बाप और भाई के जेल में जाने के बाद अंबा प्रसाद पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाईं और उनकी यूपीएससी की फाइनल परीक्षा छूट गई। अंबा प्रसाद की प्राथमिकता अब आईएएस बनना नहीं, बल्कि मां-बाप और भाई को जेल से निकालने की हो गई।
राजनीति में है युवाओं की खास जरुरत
पढ़ाई छोड़कर साल 2019 में अंबा प्रसाद ने अपनी मां की सीट पर ही बड़कागांव से चुनाव लड़ा और 28 साल की उम्र में ही विधायक बन गईं। अंबा प्रसाद ‘दैनिक भास्कर' से बातचीत में भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि जब उनके करीबियों ने बुरे समय में उनका साथ छोड़ दिया था, तो बड़कागांव की जनता ने उन्हें एक लाख से ज्यादा वोटों से जिताकर विधानसभा में भेजा। आज वह उसी जनता के सवालों को झारखंड की विधानसभा में उठा रही हैं। अंबा प्रसाद का कहना है कि राजनीति में पढ़े-लिखे नौजवानों को आने की जरुरत है।
2009: झारखंड के बड़कागांव विधानसभा सीट से पिता योगेंद्र साव जीते।
2014: मां निर्मल देवी इसी सीट से चुनाव जीतीं।
2019: अंबा प्रसाद यहां से एक लाख से ज्यादा मतों से जीतीं।
Created On :   26 Jun 2023 1:30 AM IST