Mumbai News: सीवेज पानी पर प्रक्रिया करने महानगर पालिकाओं में स्थापित होगी परियोजना

सीवेज पानी पर प्रक्रिया करने महानगर पालिकाओं में स्थापित होगी परियोजना
अपशिष्ट जल उपचार और पुनःउपयोग नीति को मंजूरी

Mumbai News प्रदेश सरकार ने शहरी अपशिष्ट जल के उपचार और पुन:उपयोग के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था को गति देने संबंधी नीति को मंजूरी प्रदान की है। राज्य के सभी महानगर पालिकाओं और अ वर्ग नगर पालिकाओं में अपशिष्ट जल उपचार और पुनःउपयोग परियोजना लागू की जाएगी। राज्य के नगर विकास विभाग इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। इस नीति को लागू करने के लिए नगर विकास विभाग को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। प्रक्रिया किए गए पानी को खरीदने के लिए थोक खरीदार उपलब्ध होने पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) परियोजना सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) अथवा हायब्रीड एन्युईटी मॉडल पर स्थापित की जा सकेगी। इस परियोजना के लिए अमृत योजना 2.0 के तर्ज पर व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) स्वरूप में धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। जिसमें राज्य सरकार और स्थानीय निकायों को अपने हिस्से की राशि देनी होगी। सरकार ने इस नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव राजेश कुमार की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय निगरानी समिति गठित की गई है। इस समिति का तीन महीने में एक बार बैठक आयोजित करना होगा।

बगीचे और निर्माण कार्य में पानी का इस्तेमाल : राज्य में छोटे स्थानीय निकायों को प्रक्रिया किए गए पानी का दोबारा इस्तेमाल बगीचे, निर्माण कार्य, गैरेज आदि कामों के लिए करने की अनुमति होगी। इसके साथ ही राज्य के शहरी इलाकों में आपूर्ति किए गए कुल पानी में से 80 प्रतिशत सीवेज जल तैयार होता है। इसलिए नगर विकास विभाग को सीवेज के पानी पर प्रक्रिया करने की परियोजना लगाने के लिए अन्य विभागों से समन्वय स्थापित करना होगा। नगर विकास विभाग को अमृत योजना वाले शहरों में प्रति वर्ष सीवेज पानी के दोबारा इस्तेमाल के लिए प्रारूप बनाना पड़ेगा।

प्रक्रिया किए पानी का इस्तेमाल : राज्य में प्रक्रिया किए गए पानी का इस्तेमाल औष्णिक ऊर्जा केंद्र, उद्योग, व्यवसाय और औद्योगिक केंद्रों में किया जा सकेगा। डेटा सेंटर में शीतकरण के लिए बड़े पैमाने पर पानी का उपयोग होता है। इसलिए डेटा सेंटर के शीतकरण टॉवर्स और अन्य शीतकरण प्रक्रिया के लिए इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। शहरों में सड़कों को धोने, उद्यान को पानी देने, शहरी कॉलोनियों में टॉयलेट फ्लशिंग, सार्वजनिक शौचालयों, कृषि सिंचाई समेत अन्य जगहों पर साफ पानी का उपयोग किया जा सकेगा।

बेचा जा सकेगा साफ पानी : राज्य के जलसंसाधन विभाग अथवा अन्य विभागों को स्थानीय निकायों को पानी उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित पानी शुल्क भरना पड़ता है। शहरों में इस पानी का इस्तेमाल करने के बाद मलजल व अन्य गंदा पानी तैयार होता है। इस पानी पर प्रक्रिया करने के लिए स्थानीय निकायों को खर्च वहन करना पड़ता है। इसलिए सीवेज के पानी को प्रक्रिया करने के बाद उसको वाणिज्यिक अथवा औद्योगिक इस्तेमाल करने के लिए बेचा जा सकेगा। इस साफ पानी को बेचने के लिए स्थानीय निकायों को शुल्क तय करने का अधिकार होगा।


Created On :   2 Nov 2025 7:27 PM IST

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