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स्मार्ट योजना में कपास, संतरा को नया आयाम
- फसल उत्पादन से लेकर बिक्री तक का किसानों की संस्था करेगी संचालन
- स्मार्ट योजना में कपास, संतरा को नया आयाम
डिजिटल डेस्क, नागपुर. राज्य के कृषि विभाग ने 3 साल पहले जिले में स्टेट ऑफ महाराष्ट्र एग्री बिजनेस एंड रूरल ट्रांसफार्मेशन प्रोजेक्ट (स्मार्ट योजना) आरंभ की है। इस योजना में किसान बचत समूह कंपनी बनाकर अपने उत्पादों को बाजार में बिक्री कर सकेंगे। इतना ही नहीं बाजार के प्रचलन के अनुरूप फसल उत्पादन के लिए भी मार्गदर्शन किया जा रहा है। अगले 4 साल में जिले में 40 हजार किसानों के साथ 105 उत्पादक समूहों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल कृषि विभाग योजना में 100 किसानों के साथ कपास उत्पादन और प्रसंस्करण को लेकर प्रयास कर रहा है।
60 प्रस्तावों को मंजूरी : राज्य के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्पर्धाक्षम कृषि विकास प्रकल्प के दूसरे चरण को शुरू किया गया है। स्व. बालासाहब ठाकरे कृषि व्यवसाय एवं ग्रामीण परिवर्तन प्रकल्प (स्टेट ऑफ महाराष्ट्र एग्री बिजनेस एंड रूरल ट्रांसफार्मेशन प्रोजेक्ट) के रूप में जिले के 40 हजार से अधिक किसानों को जोड़ा गया है। अब तक 105 समूहों में किसानों ने कृषि उत्पाद को आधारभूत सुविधा से जोड़कर विकास मॉडल बनाने के लिए प्रयास शुरू किया है। जिले से करीब 60 प्रस्तावों पर अनुदान के साथ गोदाम निर्माण, राईस मिल, दाल प्रसंस्करण, पशु खाद्यान्न उत्पादन, संतरा और मौसमी के प्रसंस्करण, आयल मिल समेत अन्य आधारभूत सुविधा बनाने के लिए मंजूरी दी जा रही है। इन प्रस्तावों में 55 कृषि उत्पाद और 5 बागायती खेती से जुड़े हुए हैं। योजना के 2027 में समापन तक करीब 1 लाख से अधिक किसानों को जोड़ने का प्रयास है। इस साल करीब 5 क्विंटल कपास को बेल्स रूप में प्रदर्शित किया गया है, जबकि बीज की ई-आक्शन की जा रही है।
100 किसानों को स्मार्ट कपास से लाभ : जिले में इस योजना में 50 से अधिक गांवों में कपास उत्पादन पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। 1 गांव-1 कपास को चिह्नित कर गुणवत्ता उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। कपास की 4 किस्म आयर-1, प्लेटिनम, राशिका और मोक्ष को लगाकर कपास के रेशा की लंबाई के आधार पर मूल्य निर्धारण को प्राथमिकता दी जा रही है। कपास उत्पादकों को तकनीकी और विपणन सुविधा देने के लिए महाकॉट संस्था सहयोग कर रही है। सामान्य कपास में बीज का वजन अधिक होने से महीन रेशा कम निकलता है, लेकिन परिष्कृत बीज में रेशा को लंबा और महीन रूप में पाया जा रहा है। 100 किलो कपास में 32 किलो कपास और 67 किलो बीज को निर्धारित किया गया है। यही प्रयोग सोयाबीन, तुअर, धान और मक्का को भी करने का प्रयास हो रहा है। जिले के करीब 100 किसानों के 5 क्विंटल कपास को सफाई कर बेल्स में सुरक्षित रखा गया है, जबकि उत्पादित बीजों को ई आक्शन के माध्यम से किसानों को बिक्री की सुविधा दी गई है।
Created On :   10 July 2023 6:44 PM IST