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आरक्षण और सुरक्षा की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे तृतीय पंथी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट में तृतीय पंथियों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरी में रिजर्वेशन को लेकर याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि तृतीय पंथियों के सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार तृतीय पंथियों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में रिजर्वेशन देने पर अमल नहीं कर रही है। उन्हें सामाजिक उपेक्षा का भी शिकार होना पड़ रहा है।
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति फिरदौस फिरोज पूनिवाला की खंडपीठ के समक्ष तृतीय पंथियों की ओर से वकील संदेश मोरे और वकील हेमंत गांदिगांवकर की दायर याचिका सुनवाई के लिए आई थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि कानूनी रूप से तृतीय पंथियों को मिले आवास, रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा के अधिकार पर केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह अमल नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2006 में दसवीं की परीक्षा पास की. तृतीय पंथी होने के बावजूद उसके नाम से सर्टिफिकेट पुरुष के रूप में जारी किया गया। जबकि जिला अदालत ने उसे तृतीय पंथी होने का सर्टिफिकेट जारी किया है।
केंद्र सरकार ने 10 जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी किया था, जिसमें ट्रांसजेंडर प्रीवेंशन एक्ट 2019 के अंतर्गत तृतीय पंथी के कल्याण का अधिकार दिया गया है। राज्य सरकार के पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर भर्ती के तृतीय पंथी के लिए आरक्षण नहीं दिया गया. जबकि सिपाही की भर्ती में 75 तृतीय पंथियों ने भाग लिया था। हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने तृतीय पंथी उम्मीदवारों की शारीरिक परीक्षा के मानदंड इस साल फरवरी तक तय किए जाने की बात कही थी, लेकिन उस पर अभी तक अमल नहीं किया गया।
Created On :   25 Aug 2023 6:46 PM IST