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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, मरीजों को तकलीफ- नेत्ररोग विभाग में दिखा सबसे अधिक असर, नहीं हुई सर्जरी
- जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल
- नेत्ररोग विभाग में दिखा सबसे अधिक असर, नहीं हुई सर्जरी
- मरीज परेशानी में दिखे
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। राज्य सरकार द्वारा संचालित जे.जे. अस्पताल में जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच संघर्ष दूसरे दिन भी जारी रहा। वरिष्ठ डॉक्टरों पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने अनिश्चितकाल के लिए अपनी हड़ताल जारी रखी है। इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर उन गरीब मरीजों पर पड़ा, जो अपनी आंखों के इलाज के लिए दूर-दराज गांव से आते हैं। हड़ताल के पहले दिन गुरुवार को नेत्ररोग विभाग में एक भी मरीज की मोतियाबिंद व अन्य सर्जरी नहीं की गई।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
जे.जे. अस्पताल के नेत्ररोग विभाग की प्रमुख डॉ. रागिनी पारिख और वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. तात्याराव लहाने पर तानाशाही और बदसलूकी का आरोप लगाते हुए यहां के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले गए हैं। दूसरी ओर इन जूनियर डॉक्टरों के बेबुनियाद आरोप और इन आरोपों को लेकर की जा रही रोजाना प्रताड़ना से तंग आकर यहां के नौ वरिष्ठ डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार को हड़ताल का पहला दिन था। इस हड़ताल की वजह से नेत्ररोग विभाग में आंखों की एक भी सर्जरी नहीं हुई है। आमतौर पर नेत्ररोग विभाग में रोजाना 25 से 30 सर्जरी होती थीं।
डॉ. पल्लवी सापले, डीन-जे.जे. अस्पताल के मुताबिक नेत्र रोग विभाग में ओपीडी रोजाना की तरह हुई, लेकिन सर्जरी एक भी नहीं हुई। वरिष्ठ डॉक्टरों ने एक दिन पहले ही सभी को अस्पताल से डिस्चार्ज दे दिया था।
अस्पताल की ओपीडी (गुरुवार दोपहर दो बजे तक)
1,423 मरीज देखे गए।
72 नए मरीजों को भर्ती किया गया।
30 ऑपेरशन दिनभर में हुए।
5 इमरजेंसी ऑपेरशन शामिल।
30 में से सात बड़े और 23 छोटे ऑपेरशन थे।
24 घंटे का दिया अल्टीमेटम
जे.जे. अस्पताल मार्ड के अध्यक्ष डॉ. शुभम सोनी ने बताया कि हमारी कुछ प्रमुख मांगें हैं।
1. नेत्ररोग विभाग प्रमुख डॉ. रागिनी पारिख और डॉ. तात्याराव लहाने को तुरंत हटाया जाए।
2. राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल के अनुसार, नेत्ररोग विभाग में फौरन नए वरिष्ठ डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए
3. जूनियर डॉक्टरों का बकाया मानधन तुरंत मिले।
डॉ. शुभम सोनी, मार्ड के अध्यक्ष,जे.जे. अस्पताल के मुताबिक अगर 24 घंटे के अंदर अस्पताल प्रशासन इस पर फैसला नहीं लेता है, तो हम सेंट्रल मार्ड की मदद से पूरे राज्यभर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हड़ताल करेंगे।
इस्तीफे पर शंका
जे.जे. अस्पताल की डीन डॉ. पल्लवी सापले ने वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा दिए गए इस्तीफे पर शंका जताई है। उन्होंने बताया कि मुझे जिन आठ डॉक्टरों का इस्तीफा मिला है, वह कार्यालयीन प्रक्रिया के तहत नहीं आए हैं। नियमानुसार यह सभी इस्तीफे विभाग की प्रमुख के जरिए मेरे पास आने चाहिए। यह सभी इस्तीफे मेरे पास सीधे आए हैं, क्योंकि इस विभाग की प्रमुख डॉ. रागिनी पारीख ने स्वयं सेवानिवृत्त के लिए निवेदन दिया है। इसके अलावा डॉ. तात्याराव लहाने का जे.जे. अस्पताल से कोई लेना-देना ही नहीं है। उनकी नियुक्ति सरकारी संकल्प के अनुसार निवारक दृष्टिहीनता मुक्त महाराष्ट्र के समन्वयक पद पर की गई थी। इसके अलावा सात अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों के इस्तीफे पत्र पर या तो तारीख नहीं है या किसी पर हस्ताक्षर बराबर नहीं है। इसलिए इन वरिष्ठ डॉक्टरों से यह जानकारी भी ली जाएगी कि यह इस्तीफा पत्र उनका है कि नहीं।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी करें जांच- डॉ. नीलम गोरे
महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोरे ने मांग की है कि जे.जे. मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नामी विशेषज्ञों के इस्तीफे के मामले की जांच भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से कराई जाए। उन्होंने इस आशय का पत्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और चिकित्सकीय शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन को दिया है। उन्होंने कहा कि नेत्र रोग विभाग के सभी शिक्षकों के इस्तीफे का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
Created On :   1 Jun 2023 9:23 PM IST