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सभी सरकारी स्कूलों में एक जैसे गणवेश पर विचार, खिलाफ हैं कई लोग
डिजिटल डेस्क, मुंबई. आगामी शैक्षणिक सत्र से राज्य सरकार ने सभी सरकारी और अनुदानित स्कूलों में एक जैसा गणवेश (यूनिफॉर्म) लागू करने पर विचार कर रही है लेकिन इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। महाराष्ट्र सांस्कृतिक आघाड़ी के संयोजक श्रीपाद जोशी ने कहा कि पूरे राज्य में विद्यार्थियों को एक जैसा गणवेश पहनाकर सरकार क्या हासिल करना चाहती है। गणवेश का फैसला स्थानीय स्तर पर छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि स्थानीय वातावरण के मुताबिक गणवेश लागू करना ज्यादा बेहतर तरीका है। इसके अलावा हम ड्रेस से यह पहचान कर सकते हैं कि कौन सा विद्यार्थी किस स्कूल का है जो एक जैसी ड्रेस के बाद संभव नहीं होगा। जोशी ने आशंका जताई कि राज्य सरकार किसी खास ठेकेदार को सारा ड्रेस बनाने का ठेका देना चाहती है शायद इसलिए उस तरह का फैसला किया गया है। हालांकि राज्य सरकार से जुड़े सूत्रों का दावा है कि गणवेश बनाने के लिए महिला बचत गटों को काम सौंपने पर विचार किया जा रहा है। राज्य के 48 लाख विद्यार्थियों को राज्य सरकार ने इस साल गणवेश के साथ जूते, मोजे भी देने का फैसला किया है। इस पर 67 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। शिक्षा विभाग की हाल ही में हुई बैठक के दौरान अधिकारी इस बात पर सहमत नजर आए कि अगर सरकार के स्तर पर गणवेश तैयार कर विद्यार्थियों को दिए जाएं तो गुणवत्ता में सुधार के साथ लागत में भी कमी की जा सकती है।
अब तक स्कूल प्रबंधन को दिए जाते थे पैसे
अभी तक राज्य सरकार स्कूल मैनेजमेंट समिति को प्रति विद्यार्थी 600 रुपए देती थी। स्कूल ड्रेस कैसा होगा इसका फैसला स्कूल प्रबंधन करता है और हर विद्यार्थी को 2 गणवेश दिए जाते थे। छात्राओं, आर्थिक रूप से कमजोर, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को गणवेश मुहैया कराए जाते थे लेकिन अब सभी विद्यार्थियों को सरकार गणवेश देगी। मुंबई महानगर पालिका अपने खर्च पर विद्यार्थियों को गणवेश मुहैया कराती है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल राज्य सरकार की ओर से हमें कोई निर्देश नहीं मिले हैं और हम पुरानी प्रक्रिया के मुताबिक काम कर रहे हैं। इससे पहले साल 2016 में सरकार ने सीधे विद्यार्थियों के खाते में गणवेश के पैसे भेजना शुरु किया था लेकिन योजना ज्यादा कारगर नहीं रही और इसे दो वर्षों में बंद करना पड़ा।
Created On :   9 May 2023 10:43 PM IST