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जादुई पौधा: सहिजन में छुपी है विटामिन की पूंजी, जानिए और क्या है इसमें खास
- बीएआरसी के सहयोग से कृषि वैज्ञानिक ने विकसित की चाय व खाद्य पदार्थ
- 92 पोषक तत्वों से भरपूर सहिजन
- कुपोषण दूर करने में हो रहा कारगर
- 8 संतरों से ज्यादा विटामिन
डिजिटल डेस्क, मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। छत्तीसगढ़ के रानी अवंतीबाई लोधी कृषि विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र मंी कार्यरत कृषि वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर डॉ. बी.एस असाटी द्वारा सहिजन (मोरिंगा) पर पिछले 12 वर्षों के अनुसंधान से अमृत निकला है। मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के सहयोग से डॉ. असाटी ने 92 पोषक तत्वों से भरपूर सहिजन से विभिन्न मूल्य-वर्धित उत्पाद तैयार किया है। कुपोषण की समस्या के निदान के लिए प्रारंभिक स्तर पर डॉ. असाटी ने रेडी टू कूक पुलाव एवं रेडी टू ईट पोहा तैयार किया है।
ब्राजील में 8 से 11 नंबर के बीच आयोजित तृतीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. असाटी ने अपने दो शोध पत्र प्रस्तुत किए। उन्होंने छत्तीसगढ़ की प्रथम फोर्टिफाइड मोरिंगा हर्बल चाय को विकसित कर उसका प्रस्तुतीकरण एवं प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया की सहिजन की पत्तियों में पाए जानेवाले क्वेरसेटिन और क्लोरोजेनिक एसिड से ब्लड मे शर्करा को नियंत्रित किया जा सकता है। यह चाय इंसुलिन को कंट्रोल करने में बहुत प्रभावशाली है। इसमें फिनॉल कंटेंट, एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉयड्स, टेनन, बीटाकरोटिन, कैल्शियम आदि तत्व पाए जाते हैं। यह सभी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।
कहा जाता है जादुई पौधा
सहिजन को जादुई पौधा कहने के पीछे बड़ा कारण है, इसका तना, पत्ती, जड़, फल, फूल सभी उपयोग में लाया जाता है। सहिजन में गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन ‘ए’, संतरे से 7 गुना विटामिन ‘सी’, पालक से 3 गुना आयरन, दूध से 4 गुना कैल्शियम, केला से 3 गुना पोटेशियम एवं बादाम से 3 गुना विटामिन ‘ई’ पाया जाता है। मानव शरीर में होने वाली 300 से अधिक बीमारियों जिसमें मधुमेह, कैंसर, हड्डियों का दर्द, किडनी की समस्या, लीवर की समस्या, मूत्र विकार के निदान में यह सहायक है।
दूसरे देश ले रहे तकनीकी ज्ञान
सहिजन की उपयोगिता को देखते हुए अमेरिका, नेपाल, श्रीलंका समेत कई देश
रानी अवंतीबाई लोधी कृषि विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र से इसके उत्पादन की तकनीक सीख रहे हैं।
डॉ. बी.एस असाटी -प्रोफेसर एवं कृषि वैज्ञानिक, रानी अवंतीबाई कृषि विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, छुईखदान के मुताबिक मुंबई बीएआरसी के साथ हमारे विश्वविद्यालय का एमओयू हुआ है। बीएआरसी के डॉ. बी.के दास म्युटेशन स्टडी और रेडियेशन पर रिसर्च में हमें सहयोग करते हैं।
Created On :   17 Nov 2023 7:00 AM IST