1200 महिलाओं ने दुग्ध दान कर निभाई मातृत्व की जिम्मेदारी

1200 महिलाओं ने दुग्ध दान कर निभाई मातृत्व की जिम्मेदारी
डागा स्मृति शासकीय महिला अस्पताल में जिले की एकमात्र मिल्क बैंक है। डेढ़ साल पहले इसकी शुरुआत हुई थी। सरकारी अस्पतालों में सर्वाधिक प्रसूति डागा में होती है। यहां सालाना 1000 से अधिक बच्चे जन्म लेते हैं। उनमें से अनेक बच्चों को मां का दूध नसीब नहीं होता है।

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बच्चे को जन्म देने के बाद अलग-अलग कारणों से माता उसे दुग्धपान नहीं करा सकती। ऐसे बच्चों को अब मां के दूध से वंचित नहीं रहना पड़ रहा है। जन्म देने वाली मां नहीं, लेकिन दूसरी महिलाओं का दूध उन बच्चों को मिलने लगा है। डागा स्मृति शासकीय महिला अस्पताल में स्थापित मिल्क बैंक बच्चों के लिए वरदान साबित हो चुकी है। डेढ़ साल में यहां करीब 1200 महिलाओं ने दुग्धदान कर दूसरों के बच्चों के लिए मातृत्व की जिम्मेदारी निभाई है।

ताकि बच्चे मां के दूध से न रहें वंचित : कई कारणों व बीमारियों के चलते माताएं अपने बच्चों को दुग्धपान नहीं करा सकती। ऐसे में बच्चों को मां के दूध से वंचित रहना पड़ता है। इसलिए ऐसे बच्चों को मां का दूध मिलना चाहिए, इस संकल्पना से डागा में मिल्क बैंक की स्थापना की गई। इसके लिए डागा की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमा पारवेकर, स्वास्थ्य उपसंचालक डॉ. विनिता जैन, तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. माधुरी थोरात आदि ने मिल्क बैंक शुरू करने के लिए प्रयास किए। दूसरे शहरों की मिल्क बैंक का निरीक्षण किया गया। मिल्क बैंक को साकार करने व सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशिक्षण भी लिया गया। तब जाकर मिल्क बैंक काे शुरू किया गया।

ऐसे शुरुआत हुई मदर्स डे की : हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को विश्व भर में मदर्स डे मनाया जाता है। मां को समर्पित यह दिन इस बार रविवार 14 मई को मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत अमेरिकन महिला एना जॉर्विस ने की थी। एना जॉर्विस ने मदर्स डे की नींव रखी, लेकिन मदर्स डे को मनाने की शुरुआत 9 मई 1914 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने की थी। उस समय अमेरिकी संसद में कानूनन हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने का निर्णय लिया गया। तब से विश्व के कई देशों में मदर्स डे मनाया जाता है।

जो तत्व मां के दूध में, वह कहीं नहीं : बच्चे को जन्म देने के बाद कई बार माताओं को विविध बीमारियां व अन्य कारणों के चलते दूध पिलाने का सौभाग्य नहीं मिल पाता। ऐसी माताओं का दूध बच्चों को पिलाने से स्वास्थ्य पर विपरीत असर होता है। मां से बच्चों का दूध नहीं मिलने से बच्चों के वजन और सेहत पर असर होता है। इसलिए बच्चों को सेहतमंद बनाने, उन्हें संक्रामक बीमारियों से बचाने, उनके शारीरिक व मानसिक विकास के लिए मां का दूध मिलना जरूरी होता है। पाउडर या गाय के दूध में वह जरूरी तत्व नहीं होते, जो मां के दूध में होते हैं। इसलिए मिल्क बैंक के माध्यम से डागा में प्रसूत महिलाओं को समुपदेशन कर दुग्ध संकलन किया जा रहा है। डेढ़ साल में यहां करीब 1200 महिलाओं ने दुग्धदान किया है। यहां हर रोज औसत चार लीटर दूध संकलित होता है। दुग्धदान करने वाली महिलाओें का दूध मशीन से निकाला जाता है। इसके बाद विविध जांच व अन्य प्रक्रिया कर संगृहीत कर रखा जाता है। 20 डिग्री सेंटीग्रेड पर दूध को छह महीने तक रखा जाता है। इसके लिए जरूरी विविध मशीनें अस्पताल में है। जिन बच्चों का वजन 1.8 किलोग्राम से कम है, ऐसे बच्चों को यह दूध दिया जाता है। दुग्धदान करना प्रसूता महिलाओं की सेहत के लिए लाभदायी है, ऐसा डॉ. पारवेकर ने बताया है। उन्होंने महिलाओं से निसंकोच आगे आकर सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया है।

Created On :   14 May 2023 5:42 PM IST

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