केन्द्रीय मंत्री गडकरी की नाराजगी के बाद खुली मनपा की नींद

केन्द्रीय मंत्री गडकरी की नाराजगी के बाद खुली मनपा की नींद
  • जलापूर्ति व्यवस्था के सर्वेक्षण का आदेश जारी
  • गडकरी की नाराजगी के बाद खुली मनपा की नींद
  • जलकुंभ व लीकेज को लेकर तर्क, पर आंकड़ों को लेकर संभ्रम

डिजिटल डेस्क, नागपुर. साल 2012 में शहरभर में जलापूर्ति की व्यवस्था को पहली मर्तबा निजी कंपनी को सौंपा गया। मनपा प्रशासन का दावा था कि, निजी कंपनी ओसीडब्ल्यू के माध्यम से देखभाल और आपूर्ति व्यवस्था सुचारू होने के साथ ही वाटर लॉस (जलहानि) को कम किया जा सकेगा। मनपा के जलप्रदाय विभाग ने अनुबंध में साल 2017 तक वाटर लॉस को 17 फीसदी से कम करने का निर्देश भी दिया था, लेकिन 11 साल बाद भी वाटर लॉस कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इतना ही नहीं, वाटर लॉस बढ़कर करीब 40 फीसदी तक पहुंच गया है। मनपा और ओसीडब्ल्यू की कार्यप्रणाली को लेकर केन्द्रीय मंत्री नितीन गड़करी भी हाल ही में सार्वजनिक कार्यक्रम में नाराजगी जता चुके हैं। ऐसे में अब मनपा के जलप्रदाय विभाग ने सभी जोन और पंपिग स्टेशन की जलवितरण व्यवस्था का सर्वेक्षण करने का आदेश जारी किया है। सभी जोन में जलापूर्ति, ग्राहकों की संख्या, वाटर लॉस समेत अन्य आंकड़ेवारी को संकलित किया जा रहा है।

जलकुंभ व लीकेज को लेकर तर्क, पर आंकड़ों को लेकर संभ्रम

मनपा ने अनुबंध में जलहानि (वाटर लॉस) 17 फीसदी से कम करने के लिए साल 2017 तक की समयावधि दी थी। साल 2012 में जलप्रदाय विभाग रोजाना जलापूर्ति के लिए 340 एमएलडी कन्हान और पेंच नदी से पानी लेते थे। इसमें से करीब 15 फीसदी की जलहानि होती थी। अब शहर में रोजाना 710 एमएलडी पानी को जलसंपदा विभाग से खरीदी कर आपूर्ति किया जा रहा है। गर्मी के दिनों में 710 एमएलडी तक खपत होती है, लेकिन इसमें से केवल 450 एमएलडी का ही कर के रूप में राजस्व मिल पा रहा है। ऐसे में ओसीडब्ल्यू की व्यवस्था और कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। कई मर्तबा मनपा के अधिकारी जलकुंभों की कमी और पाइप लाइन लीकेज का तर्क दे रहे हैं, लेकिन स्पष्ट आंकड़ों को लेकर संभ्रम बना हुआ है। ऐसे में अब मनपा के जलप्रदाय विभाग ने सभी जोन के स्तर पर जलापूर्ति और पानी कर को लेकर सर्वेक्षण करने का आदेश जारी कर दिया है।

सालाना पानी कर में 5 फीसदी बढ़ोतरी

मनपा के जलप्रदाय विभाग के माध्यम से शहर में 7.50 लाख घरों को जलापूर्ति की जाती है। पानी के बिल में हर साल करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी भी होती है, लेकिन जलहानि को रोकने को लेकर कोई भी पहल नहीं हो पा रही है। इस रकम के बदले में ओसीडब्ल्यू को नियमित रूप से भुगतान हो रहा है। इतना होने के बाद भी ओसीडब्ल्यू की कार्यप्रणाली को लेकर भी समीक्षा नहीं हो रही है। ऐसे में रोजाना 710 एमएलडी जलापूर्ति में से करीब 91 फीसदी यानी केवल 450 एमएलडी का बिल मिल पा रहा है। मनपा का जल कर अब भी करीब 400 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं पर बकाया बना हुआ है।

40 जलकुंभ प्रस्तावित

मनपा के जलप्रदाय विभाग ने शहर में जलहानि को रोकने के लिए उपाय योजनाओं को प्रस्तावित किया है। इसके तहत अमृत योजना में करीब 750 किमी क्षेत्र में नई पाइप लाइन डालने और 40 जलकुंभ तैयार करने की योजना है। शहर में अब तक करीब 10 नए जलकुंभ बन चुके हैं, जबकि 21 का निर्माणकार्य चल रहा है।

ओसीडब्ल्यू से जानकारी ले रहे हैं

डॉ. श्वेता बनर्जी, अधीक्षक अभियंता, सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मुताबिक मनपा जलप्रदाय विभाग से सभी जोन में जलापूर्ति व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है। अवैध नल कनेक्शन, पानी की चोरी और पाइप लाइन लीकेज के साथ ही अन्य माध्यमों से होनेवाली जलहानि को लेकर ओसीडब्ल्यू से आंकड़ों को मांगा गया है। जोन के आंकड़ों से तुलना कर प्रभावी उपाययोजना की जाएगी।


Created On :   13 Aug 2023 7:43 PM IST

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