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पीएचडी मामले में एम्स को हाई कोर्ट से राहत, कर्मचारी की याचिका खारिज
- सूची में शामिल नहीं किया
- 5 वर्ष पूर्ण नहीं हुए
- एम्स को हाई कोर्ट से राहत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए अपात्र घोषित कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) नागपुर को राहत दी है। पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए पात्र होने के बावजूद प्रबंधन द्वारा अपात्र करार दिया गया, ऐसा दावा कर्मचारी की ओर से करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सूची में शामिल नहीं किया
याचिकाकर्ता के अनुसार 16 अगस्त 2018 को उनका चयन एनॉटॉमी विभाग में ट्यूटर पद के लिए हुआ था, तबसे वे लगातार संस्थान में सेवा दे रहे हैं। हाल ही में एम्स ने जुलाई 2023 के सत्र के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया था। याचिकाकर्ता के अनुसार इस प्रवेश प्रक्रिया के लिए ई-मेल से आवेदन करने की आखिरी तारीख 27 जून थी और आवेदन की हार्ड कॉपी जमा करने की आखिरी तारीख 5 जुलाई तय की गई थी। परीक्षा 25 जुलाई को आयोजित की गई थी। याचिकाकर्ता के आवेदन करने के बावजूद उनका नाम परीक्षार्थियों की सूची में शामिल नहीं किया गया, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली।
5 वर्ष पूर्ण नहीं हुए
याचिका में उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि पीएचडी प्रोग्राम में शामिल होने की अंतिम तारीख 31 अगस्त 2023 थी। 19 जुलाई को प्रवेश प्रक्रिया के लिए पात्र उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित की जाने वाली थी। परीक्षा के नियमानुसार नॉन-मेडिकल श्रेणी से संस्थान में 5 वर्ष की सेवा देने वाले कर्मचारी भी इस प्रवेश परीक्षा के लिए पात्र थे। चूंकि उनकी नियुक्ति 16 अगस्त 2018 को हुई थी, 16 अगस्त 2023 को उनके 5 वर्ष पूरे होने के कारण वे पीएचडी करने के लिए पात्र थे, लेकिन एम्स प्रबंधन ने इसके विरोध में हाई कोर्ट में दलील दी कि हार्ड कॉपी आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 5 जुलाई थी, लिहाजा इस दिन तक याचिकाकर्ता के सेवा के 5 वर्ष पूर्ण नहीं हुए थे, इसलिए उन्हें पात्र उम्मीदवार नहीं माना गया। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने एम्स का फैसला कायम रखते हुए याचिका खारिज कर दी।
Created On :   31 July 2023 6:38 PM IST